Rajasthani Sahitya Mein Shakti Upasana

राजस्थानी साहित्य में शक्ति उपासना
Author : Dr. Amit Gehlot
Language : Rajasthani
Edition : 2023
ISBN : 9788196398712
Publisher : Rajasthani Granthagar

399.00

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राजस्थानी साहित्य में शक्ति उपासना

भारतीय लोकमानस देवी-देवताओं की संकल्पना से ओत-प्रोत है। यद्यपि सृष्टि के संचालन के रूप में एक ही मूलशक्ति की सम्पृक्ति मानी गई है तथापि यह मूल चेतना अग्नि के अनेक स्फुर्लिंगों की तरह नाना देवी-देवताओं के रूप में लोक में विचरित होकर आशीर्वाद देती रही है। Rajasthani Sahitya Shakti Upasana

surely राजस्थान वीरों, संतों और लोक देवी-देवताओं की तपोभूमि रही है। यहां रामदेवजी, गोगाजी, पाबूजी, हड़बूजी, मेहाजी, देव नारायणजी जैसे अनेकानेक लोक देवताओं की तरह सच्चियाय माता, करणी माता, लटियाल माता, आवड़ माता, शीतला माता, आशापुरा माता, राणी भटियाणी, सकराय माता, नारायणी माता, जीण माता, पथवारी माता जैसी महान लोक देवियाँ भी अवतरित हुई हैं। इन देवियों ने मानव रूप में अवतार लेकर असाधारण एवं लोक कल्याणकारी कार्यों द्वारा लोकमानस को व्यापक धरातल पर प्रभावित किया है। इसलिए स्थानीय लोग इन्हें देव तुल्य मानकर भाव-विभोर होकर पूजा-अर्चना करते हैं। इन देवियों ने समय-समय पर सामाजिक विषमताओं व अनेकानेक समस्याओं से लड़ते हुए लोगों के उद्धार का कार्य किया। इसलिए इन लोक देवियों को जहां एक ओर जगत् जननी का दर्जा मिला वहीं दूसरी ओर लोक में इनके देवत्व को स्थापित किया गया।

Rajasthani Sahitya Shakti Upasana

सामाजिक रूपान्तरण व लोगों के अन्तकरण की शुद्धि के लिए राजस्थान की लोक देवियों को आदर के साथ याद किया जाता है। भारत के अन्य स्थानों की तरह राजस्थान भी विषमताओं का गढ़ रहा है। ऐसे में लोक देवियों ने जाति-पांति, ऊंच-नीच व छुआ-छूत को भुलाकर पीड़ित मानवता के उद्धार के लिए अपने आप को उत्सर्ग कर दिया। all in all इन लोक देवियों में जहां एक ओर ममता, वात्सल्य, करूणा, दया आदि भाव परिलक्षित होते हैं। वहीं दूसरी ओर इनमें दृढ़ता, शूरवीरता, दानवीरता, धैर्य, सहिष्णुता जैसे भाव पुरजोर रूप में मिलते हैं। इन्हीं भावों के कारण ये देवियाँ अतिमानवी रूप में लोकमानस में पूज्य हैं। यहां की कई देवियाँ शक्तिपीठों में भी अपना स्थान रखती हैं।

लोक देवियों के अलौकिक एवं लोक कल्याणकारी कार्यों के कारण उनकी कीर्ति में कई गीत, भजन व हरजस गाए जाते हैं, जो मौखिक और लिखित दोनों रूपों में उपलब्ध हैं।

accordingly यह पुस्तक के रूप में सुधी पाठकों के हाथ में है। इस पुस्तक के प्रकाशन से जहां हमें एक ओर राजस्थान की लोक देवियों की गौरवगाथा व उनके लोक कल्याणकारी कार्यों से परिचय प्राप्त होगा व दूसरी ओर हमें उनकी कीर्ति से युक्त लोक साहित्य का भी परिचय प्राप्त होगा। हमें इन देवियों की गौरवगाथा को जीवन में उतारना हैं, भावावेश में किसी भी तरह के अंधविश्वास को ओढ़ना देवियों के बताये मार्ग से पदच्युत होना है।

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