ओसवाल गोत्र एवं कुलदेवियां : कुलदेवी किसी कुल विशेष की ऐसी आराध्य देवी है, जो उसकी पहचान कराने वाली एक सांस्कृतिक इकाई है। कुल में कुल की देवी माता का विशेष महत्व होता है। सभी जातियों में हर कुल की अलग-अलग एक देवी होती है, जिसे कुलदेवी कहते हैं। कुल के पारिवारिक कार्यों उत्सवों एवं विविध संस्कारों शिशु के जन्म, मुण्डन, उपनयन, विवाह आदि के अवसर पर कुलदेवी का पूजन-अर्चन अनिवार्य रूप से किया जाता है। कुलदेवी की आराधना से उस कुल के वंशजों के घर में सुख, शान्ति व समृद्धि आती है। सभी तरह के विघ्नों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। कुल देवी के अशीर्वाद से वंश की वृद्धि होती है। आदि शक्ति स्वरूपा मां एक है पर उसके विविध रूप है और वह आदि शक्ति विविध रूपों में पूजित है। कुलदेवी के रूप में पौराणिक व स्थानीय लोक देवियों को विविध कुलों में कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। विविध क्षत्रिय राजवंशों की प्रमुख कुलदेवियां भी विभिन्न वर्गों में कुल देवी के रूप में स्वीकार्य की गयी हैं। प्रसन्नता की बात है कि तेजसिंह तरुण ने प्रस्तुत पुस्तक में ओसवाल गोत्र की कुलदेवियों के सम्बन्ध में जो जानकारी उपलब्ध करायी है वह ओसवाल गोत्र के लोगों के लिए निस्संदेह उपयोगी सिद्ध होगी और वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे।
Oswal Gotra evam Kuldeviyan
ओसवाल गोत्र एवं कुलदेवियां
Author : Tejsingh Tarun
Language : Hindi
ISBN : 9788186103601
Edition : 2012
Publisher : RG GROUP
₹150.00
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