लोक देवता तेजाजी : जो गायों की रक्षार्थ लड़े वे लोक देवता बन गये, यहाँ धर्म शब्द व्यापक है, उसे अधिक प्रासंगिक मानना चाहिए। मध्यकाल के लोक नायक दो-दो बार काम आये। मेवाड़ में कल्ला राठौड़ सर कटने के पश्चात् भी मीलों चले। तेजाजी एक बार गायों की रक्षार्थ काम आकर भी साँप की बंबी पर पहुँच जाते है और विषधर को ललकार कर कहते हैं, ‘ले! अपना कौल पूरा कर ले’, तब नागिन तेजा से कहती है, ‘तेजा चला जा, काहे के वचन, कौनसा कौल, तूं आ गया, सब मान लिया’ परन्तु तेजा हटता नहीं है। कथा का खास मर्म यहाँ खिंच आता है। राजस्थान के नर-नारियों के लिए जीवन से बढ़कर चरित्र है, तो वचन पालन की दृढ़ता है। यहाँ भी तेजा की जीत होती है। सत्य की रक्षार्थ विजय को ठुकराना राजस्थान के वीरों की मौलिकता है।
Lok Devta Tejaji
लोक देवता तेजाजी
Author : Jaipal Singh Rathore, Mahipal Singh Rathore
Language : Hindi
Edition : 2018
ISBN : 9788186103623
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹189.00
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