Bauddha Kapalika Sadhna Aur Sahitya

बौद्ध कापालिक साधना और साहित्य
(कृष्णवज्रपाद के विशेष सन्धर्भ में)
Author : Dr. Nagendra Nath Upadhyay
Language : Hindi
ISBN : 9788171246847
Edition : 2009
Publisher : RG Group

299.00

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बौद्ध कापालिक साधना और साहित्य

हिन्दी के आदिकालीन साहित्य और भक्तिकालीन साहित्य की भूमिका प्रस्तुत करनेवाली बौद्ध सिद्धों की अपभ्रंश रचनाओं का अध्ययन केवल हिन्दी ही नहीं सम्पूर्ण समकालीन साहित्य, किंबहुना तत्कालीन समग्र धर्मदार्शनिक एवं साधनात्मक जीवन के अध्ययन के लिए उपयोगी है; क्योंकि तंत्रदर्शन एवं साधना का अति व्यापक एवं गंभीर प्रभाव सर्वत्र दिखाई पड़ता है। इसी दृष्टि से बहुत पहले १९५८ में तांत्रिक बौद्ध साधना और साहित्य की रचना की गई थी। Bauddha Kapalika Sadhna Sahitya

यह ग्रन्थ उस अध्ययन के एक पक्ष का विस्तार है। बहुत पहले आचार्य डॉ० हजारीप्रसाद जी द्विवेदी ने अपने ग्रंथ ‘नाथ सम्प्रदाय’ में जालंधर पाद और कान्हुपा के कापालिक साधन और ‘बामारग’ की चर्चा नाथ सम्प्रदाय के परिप्रेक्ष्य में ही की थी। दूसरे उस समय बौद्धों के कापालिक साधन और दर्शन से सम्बन्धित किसी शास्त्रीय ग्रन्थ की सहायता नहीं ली गई थी। अतः बौद्धों के कापालिक तत्त्वों, साधनों, दार्शनिक सिद्धान्तों की मीमांसा भी नहीं हो पाई। यहाँ तक कि श्री स्नेलग्रोव ने हेवज्रतंत्र और उसकी टीका हेवज्रपंजिका का संपादन करके भी उसके कापालिक तत्त्वों का विस्तृत विवेचन नहीं किया और न एक पृथक् बौद्ध साधनाधारा के रूप में इसे प्रस्तुत ही किया।

यह ग्रंथ बौद्ध साधना और साहित्य के अनेक अछूते, विस्मृत, तिरस्कृत और महत्त्वपूर्ण सूत्रों को एकत्रित कर उनका व्यवस्थापन करते हुए बौद्धों के कापालिकतत्त्व का स्वरूप प्रस्तुत करता है। सामान्यतया केवल शैवों में ही कापालिकों की स्थिति माननेवालों को इस ग्रंथ से नया प्रकाश, नई सूचनाएँ एवं भारतीय कापालिक साधना का एक नया स्वरूप देखने को मिलेगा। कापालिक साधना के विषय में फैली अनेक भ्रांतियों का निराकरण भी होगा, इसमें संदेह नहीं। Bauddha Kapalika Sadhna Sahitya

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