जमवाय माता : कछवाहा वंश की कुलदेवी
अंबा माता, बुडवाय (बडमाय) माता और श्री जमवाय माता
accordingly प्रस्तुत पुस्तक में कछवाहों की कुलदेवी के संबंध में विचार करते समय उनकी कुलदेवी अंबा माता, बुडवाय (बडमाय) माता और श्री जमवाय माता पर संक्षेप में प्रकाश डाला है। अंत में जमवाय चालीसा, आरती व भजन भी संकलित किए गए हैं। विस्तृत में जानने के लिए राजस्थान की कुलदेवियाँ जरुर पढ़े। Jamvay Mata Kachhwaha Vansh
शक्ति के स्वरूप की उपासना अनादि काल से होती आ रही है। परब्रह्म परम शांत रहता है उसमें देवात्म शक्ति निगूढ रहती है। परब्रह्म में व्याप्त शक्ति संद के कारण वैषम्यावस्था उत्पन्न होते ही शक्ति का स्वरूप व्यक्त हो जाता है यही शक्ति का उद्भव व प्रादुर्भाव कहा जाता है। यही महाशक्ति का उन्मेष है जिससे जगत का उदय होता है और इसी के निमेष से प्रलय हो जाता है। so इसी महाशक्ति को आद्याशक्ति कहते हैं तथा इसी से संसार का आरंभ होता है।
भगवती शक्ति विश्व जननी है। जब भी विश्व में अविद्या जन्य क्लेश व अनिष्ट बढ़ जाता है तब मां भगवती अपनी क्लेश हारिणी व श्रेयष्कारी कलाओं को विकसित कर जगत के अनिष्ट की बापा को दूर करती है –
इत्यं यदा यदा वाथा दानवोत्या भविष्यति।
तदा तदावतीहि करिष्याम्यरि संक्षयम।।
(साभराप्ती) (जब-जब दानवों द्वारा बाधा उपस्थित की जाएगी तो मैं अवतीर्ण होकर दुर्यों का क्षय करूगी।)
surely कुलदेवी के पूजन अर्चन की लंबी परंपरा हमें अपने सुखद पारिवारिक जीवन में समृद्धि व आत्मबल की उपलब्धि हेतु प्रेरित करती है और कुल कुलदेवी की कृपा से ही हमें मनोवांछित फल व परिवारिक सुख शांति की प्राप्ति होती है।
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Jamvay Mata Kachhwaha Vansh
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