पंचायतीराज में महिलाओं की भूमिका : पंचायतें लोकतंत्र की आत्मा है। हमारे देश में पंचायतें आदिकाल से विद्यमान है। इनका इतिहास उतना ही पुराना है, जितनी हमारी सभ्यता लेकिन वे लोकतांत्रिक पंचायतें नहीं थी तथा उनमें महिलाओं का स्वर सुनाई नहीं पडता था। नारी को सदैव अबला एवं निर्बल समझ का उसके भीतर छुपी ऊर्जा एव उसकी क्षमता का सही उपयोग आज तक सही मायने में नहीं किया गया है। देश के आजाद होने के बाद भी इन पंचायती राज सस्थाओं में महिलाओं को कोई विशेष महत्व नहीं दिया गया। महिलाओं को इस स्थिति से छुटकारा दिलाकर उनकी स्थिति को सम्मान-जनक स्तर तक लाने एवं उनके सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक विकास को त्वरित गति प्रदान करने तथा उनके चहुंमुखी विकास का मार्ग प्रशस्त करने के उद्देश्य से 73वां संविधान संशोधन किया गया। इस संविधान संशोधन के द्वारा महिलाओं की पंचायतों में भागीदारी सुनिश्चित की गई है। प्रस्तुत पुस्तक में पंचायती राज्य के परिपेक्ष्य में महिलाओं की उभरती हुई भूमिका का गंभीर अध्ययन प्रस्तुत किया है। लेखिका ने पंचायतीराज में महिलाओं के एक तिहाई महिला आरक्षण व्यवस्था लागू होने के बाद की स्थिति एवं इन संस्थाओं में उभरती हुई महिलाओं की भूमिका व विभिन्न आयामों का सुव्यवस्थित मूल्यांकन करने का प्रयास क्रिया है।
Panchayatiraj Mein Mahilaon Ki Bhumika
पंचायतीराज में महिलाओं की भूमिका
Author : Vimla Arya
Language : Hindi
Edition : 2013
ISBN : 978818610303X
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹359.00
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