Marwar Ka Raniwas Aur Nari Jeevan
मारवाड़ की राजनीति में जोधपुर के राजा-महाराजाओं ने अपना द्वितीय योगदान दिया है। उन्होंने मारवाड़ की उन्नति व प्रगति के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया, लेकिन उनके इन कार्यों के पीछे उन रानियों, महारानियों, पड़दायतों, पासवानों का बड़ा योगदान था, जो जनानी ड्योढी में निवास करती थीं। Marwar Raniwas Nari Jeevan
प्रस्तुत पुस्तक का उद्देश्य मारवाड़ में पहने जाने वाले वस्त्र व आभूषण जो इसकी वास्तविक संस्कृति के परिचायक हैं, के विविध पक्षों पर प्रकाश डालना है।
राजा-महाराजाओं ने न केवल राज्य के विकास व उन्नति के लिए कार्य किया, अपितु अपने राज्य में विभिन्न कलाकारों व शिल्पियों का भी पूरा प्रोत्साहन दिया।
accordingly पुस्तक में बताया गया है कि किस प्रकार राजवंश में सांस्कृतिक गतिविधियों के संचालन के केन्द्र रूप में जनाना महलों का महत्त्व था। राजपरिवार के लोगों के जीवन के समस्त संस्कार जीवनयापन की पद्धति एवं उनसे जुड़ी सामाजिक धार्मिक भावनाओं की अनुपम अभिव्यक्ति इन जनाना महलों में होती थी। मारवाड़ का रनिवास पर्दे में होने के उपरान्त भी बहुत अधिक समृद्ध था।
मारवाड़ का रनिवास और नारी जीवन
किस प्रकार मारवाड़ नरेश अपने यहां विभिन्न कारखानों द्वारा इन कर्मचारियों को न केवल रोजगार देते थे, बल्कि उनके द्वारा किये गये कार्यों के प्रोत्साहन के लिए उचित इनाम व सम्मान भी देते थे। होनहार व उत्कृष्ट कारीगरों को मारवाड़ में बसने के लिए पूरा गाँव इनाम में देना यह मारवाड़ में कारीगरों के कला को सम्मान देने का बेहतरीन उदाहरण है। surely यहां के पुरालेखीय दस्तावेजों में मारवाड़ रनिवास की बहियाँ जो राजलोक की बहियाँ कहलाती हैं। वे 18वीं शताब्दी के प्रारम्भ में प्राप्त होती हैं। बहियों व तत्कालीन लघुचित्र शैलियों के माध्यम से वस्त्रों एवं आभूषण के बारे में विस्तृत जानकारिया° प्राप्त होती हैं। जनानी ड्योढी की राजमाता व पटरानी की व्यय व्यवस्था हेतु जागीरी निश्चित की जाती थी। इन जागीरों के गा°वों की आय एवं व्यय का सम्पूर्ण हिसाब-किताब रानियों, महारानियों के स्वयं के कामदार करते थे।
Marwar Ka Raniwas Aur Nari Jeevan
तत्कालीन समय के वस्त्र व आभूषण कितने प्रकार के होते थे, उनके बनावट, रंग, सजावट आदि के साथ उनके वस्त्रों व आभूषणों को किन व्यापारियों व सुनारों से खरीदा गया, इसका वर्णन भी हमें मिलता है। at this time उस समय के व्यापारियों, कारीगरों को किस प्रकार मेहनताना दिया जाता था, उनकी आर्थिक स्थिति कैसी थी, के साथ-साथ राज्य की ओर से उन्हें समय-समय पर दिये जाने वाले पारितोषिक की भी जानकारी मिलती है।
all in all यह शोध कार्य नये तथ्यों को उजागर करने के साथ-साथ इसकी रोचक सामग्री, जिसका विश्लेषण करने का मैंने प्रयास किया है, अन्य शोधार्थियों के लिये उपयोगी व रुचिकर होगी। वर्तमान समय में जब वस्त्र व आभूषणों के नित नये प्रकार देखने को मिल रहे हैं, ऐसे समय में बहियों में वर्णित वस्त्रों व आभूषणों की बनावट आज की आधुनिक फैशन व ज्वैलरी इंडस्ट्री के लिए बहुत उपयोगी होंगे।
राजस्थान का इतिहास यहाँ की महिलाओं और पुरुषों के वीरोचित गुणों, त्याग और बलिदान की गाथाओं के कारण जगत प्रसिद्ध है। यहाँ के वीरों राजा महाराजाओं ने मारवाड़ के विकास के लिये प्रत्येक क्षेत्र चाहे राजनैतिक, सांस्कृतिक व आर्थिक प्रगति में अमूल्य योगदान दिया है। जनानी ड्योढ़ी में रहकर भी रानियों ने अपनी जागीर से मिले द्रव्य का सदुपयेाग करके अनेक प्रकार के जन- कल्याणकारी कार्य करवाये जैसे मन्दिर, कुएं, बावड़िया, झालरे, सराय जो आज भी उनकी उज्ज्वल कीर्ति को उजागर कर रही है।
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