संस्कृत साहित्य का इतिहास (वैदिक खण्ड) : विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक-संस्कृत भाषा-भारतीय अस्मिता की अपूर्व पहचान है। इस भाषा के समृद्ध, व्यापक तथा प्राचीन साहित्य ने अपनी प्रांजल शैली, अर्थ गाम्भीर्य और भावाभिव्यंजना से सम्पूर्ण विश्व के साहित्य-मनीषियों को अभिभूत और मुग्ध कर दिया। आज संस्कृत भाषा का साहित्य भारतीयता का पर्याय है। उन्नीसवीं शती के अन्त से अनेक पाश्चात्य और पौरस्त्य विद्वानों ने संस्कृत भाषा के साहित्य को पुरस्कार रूप में अनेकशः प्रस्तुत किया। उन सभी शताधिक पुस्तकों के बीच प्रस्तुत पुस्तक का कुछ निजी वैशिष्टय है :-
- लगभग पाँच हजार वर्षों की विस्तृत परिधि में फैले हुए साहित्य का सुगम एवं सहज संक्षिप्त रूप;
- संस्कृत साहित्य की विभिन्न विधाओं के सम्भावित उद्गम एवं विकास यात्रा का पृथक्-पृथक् विवेचन;
- मार्मिक स्थलों की विवेचना में सहायक मूल ग्रन्थों से पाद टिप्पण;
- कथित तथ्यों और निष्कर्षों की प्रामाणिकता के लिए उचित प्रमाण-उद्धरण;
- प्रमुख संस्कृत कवियों के सम्बन्ध में प्रसिद्ध उक्तियों की सारगर्भित व्याख्या एवं विवेचना;
- संस्कृत कवियों-लेखकों से जुड़े हुए विवादास्पद अंशों का तर्कमूलक विश्लेषण;
- साहित्य की विभिन्न प्रवृत्तियों को समझाने के लिए संस्कृत अलंकार शास्त्र का सरल एवं संक्षिप्त प्रस्तुतीकरण;
- भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों, विभिन्न अखिल भारतीय एवं प्रादेशिक सेवाओं तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की परीक्षाओं के सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का समावेश।
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