बातां रौ बटुवौ
राजस्थानी कहाणी रा महताऊ तेवर
श्री पन्नालाल कटारिया लारलै केई बरसां सूं मायड़ भासा राजस्थानी में लिखै अर मायड़ भासा रौ मान बधावै। यूं तौ म्हांरी मायड़ भासा नै संवैधानिक मानता नीं मिळी पण श्री कटारिया नै पढतां म्हनै लागै कै भलांई इणनै संवैधानिक मानता कोनी पण इणरी लोक मानता माथै कोई सक-सूबौ नीं है। आ घणै अंजस अर हरख री बात है। Bata Ro Batuvo
‘बातां रौ बटुवौ’ श्री पन्नालाज कटारिया रौ राजस्थानी कहाणी संग्रै है जिणमें accordingly कुल 18 कहाणियां है। कुदरत रौ नेम, देर है अंधेर कोनी अर हिम्मत सूं कीमत जैड़ी कहाणियां आपरी भासा अर कथा सिल्प रै पांण पाठकां नै दाय आय सकै। अै वे कहाणियां है जिकी आपां सगला रै जीवण-वैवार अर मरजादा सूं जुड़ियोड़ी है। आपां सगला अैड़ी स्थितियां सूं हरमेस गुजरता रैवां पण आपां रौ ध्यान अैड़ी केई बातां कानी जावै कोनी।
surely छतापण लेखक री आपरी अेक निजर होवै जिणसूं वो आपरै आड़ै-पाड़ै री दुनिया नै देखै-परखै अर मिनखां रा उणियारा घणी जेज तांई निरखै। पछै जिकौ वो सिरजण करै वा इज पाठकां नै याद रैय जावै। ‘बातां रौ बटुवौ’ मांय कीं अैड़ी कहाणियां ई पढण नै मिळ जावै।
all in all टाबरां री शिक्षा अर खास तौर सूं बालिका शिक्षा माथै रचियोड़ी अै कहाणियां सामाजिक बदलाव री प्रेरणा देवै अर इण नवै दौर मांय अेक नवी खेचल ई करै। कह्यौ जाय सकै कै अै राजस्थानी कहाणी रा महताऊ तेवर है जिका म्हांरी मायड़ भासा री कहाणियां नै समकालीन भारतीय भासावां री कहाणियां रै भेळी ऊभण री कोसिसां नै अेक आधार देवै। Bata Ro Batuvo
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