पूर्ण-अपूर्ण (मेरे भाव गुच्छ)
…..मगर फिर भी राधा को कृष्ण के कांधे का सहारा तो मिला हुआ है, चाहे कृष्ण खुद नहीं रहे मगर अपने होने का अहसास अब भी राधा को करवा ही रहे हैं। अब इस अधूरेपन और खालीपन को राधा के चेहरे पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। किसी को खोकर भी उसका होकर रह जाना, खुद मिट जाने पर भी साथ होने का अहसास करवाना, एक-दूजे के साथ में सम्पूर्णता और खोने के बाद उपजी रिक्तता का भाव होना, ये सब अमर, अनंत, निश्पाप प्रेम के प्रमाण हैं। Purn Apurn (Bhav Guchchh)
-इसी पुस्तक से
आज उसने पूछा था कैसे हो?
मैं कुछ बोला नहीं
बताया भी नहीं
पर,
मेरी पलकों पर उसके सवाल के गीले जवाब तैर रहे थे। Purn Apurn (Bhav Guchchh)
-इसी पुस्तक से
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