Rajod ke Aaidanot Champawaton ka Itihas

राजोद के आईदानोत चांपावतों का इतिहास
Author : Himmat Singh Rathore
Language : Hindi
ISBN : 9788186103999, 8186103996
Edition : 2012
Publisher : RG GROUP

250.00

राजोद के आईदानोत चांपावतों का इतिहास : राठौड़ वंश के शौर्य, जीवनोत्सर्ग एवं बलिदान की गाथाएं राजस्थान ही नहीं सम्पूर्ण भारत में विख्यात है। इसी राठौड़ कुल की एक सुज्ञात शाखा है – चांपावत राठौड़। राव रणमल्ल के चैबीस ख्याति लब्ध पुत्रों में तृतीय पुत्र चांपा के वंशज चांपावत राठौड़ कहलाते हैं। चांपावत राठौड़ों का मारवाड़ के इतिहास में विशेष महत्व रहा है। चांपावत राठौड़ों के सुभट वीरों ने क्षात्रधर्म के स्वरूप और परम्पराओं का निर्वाह कर उसे असीम उंचाइयां प्रदान की तथा क्षत्रिय कर्म को आदरणीय बनाने में विशेष योगदान दिया। चांपावत राठौड़ों के विभिन्न वीरों ने शौर्य, पराक्रम, बुद्धिमानी, बलिदान एवं त्याग के स्मरणीय उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। जिनमें बल्लू जी, हाथीसिंहजी, बिट्ठलदासजी, गोपालदासजी, सवाईसिंह जी जोरावरसिंहजी, कुशालसिंहजी, भूपतसिंहजी, मुकुन्ददासजी एवं रघुनाथदासजी आदि प्रमुख हैं। औरंगजेब के काल में वीरवर दुर्गादास राठौड़ के साथ रहकर चांपावत मुकुन्ददासजी रघुनाथसिंहजी ने उस विकट परिस्थिति में अजन्मे अजीतसिंहजी को न केवल सकुशल रखने व बल्कि उनको मारवाड़ की राज्य गद्दी पुनः दिलाने में विशेष भूमिका निभाई।
चांपावत राठौड़ों की इस शाखा के दलपतसिंह जी चांपावत के द्वितीय पुत्र आईदानसिंहजी से आईदानोत चांपावतों की उपशाखा चली। इसी शाखा के बिशनदासजी को महाराजा अभयसिंहजी ने राजोद गांव की जागीर प्रदान की। इसी राजोद गांव के आईदानोत चांपावतों का इतिहास इस पुस्तक में प्रथम बार प्रकाशित हो रहा है। इससे आंचलिक इतिहास के कई महत्वपूर्ण बिन्दु प्रकाश में आयेंगे तथा इतिहास के कई नये सूत्र जुड़ेंगे।

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