मारवाड़ के ओहदेदारों का इतिहास में योगदान : मारवाड़ के इतिहास में ओहदेदारों अर्थात् पदाधिकारियों का विशिष्ट योगदान रहा है। राज्य की शासन व्यवस्था और सुरक्षा के साथ ही सैनिक अभियानों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। राव जोधा द्वारा वि.सं. 1515 में जोधपुर की स्थापना करने के पश्चात् निरन्तर राज्य का विस्तार होता रहा और मुगल बादशाहों के यहाँ सैनिक सेवाएं देने के फलस्वरूप राजस्थान के बाहर भी मनसब के रूप में जागीरें मिली। राज्य की शासन व्यवस्था का सुचारू रूप से संचालन करने हेतु समय-समय पर योग्य ओहदेदारों की नियुक्ति की गई साथ ही प्रत्येक विभाग के मुख्य ओहदेदार के अधिनस्थ आवश्यकतानुसार पद सृजित कर व्यक्ति नियुक्त किये गये। जोधपुर किले में जहां मुसायब, दीवान, प्रधान, बख्शी, किलेदार, अन्न के कोठार खानसामा, चौकी नवेस के अलावा घोड़े के तबेले, सांढियों व सुतरखाना, तोपखाना, खासा खजाना, जरलरखाना, जुहारखाना, खेमा रा कारखाना, कमठा रा कोठार, फरासखाना, सिलेखाना, बारूदखाना, फीलखाना, बागर, खासा रसोड़ा, टकसाल, सिलेपोस किलीखाना, आबदारखाना, पालकीखाना, कचेड़ी आदि विभागों में दरोगा पद पर ओहदेदारा नियुक्त किये गये वहीं राज्य के 26 परगनों में हाकम ओहदेदारों की नियुक्तियां की गई और उनके सहायक मुसरफ, वाकानवेस, पातेदार और कारकून आदि पदों पर व्यक्ति नियुक्त करने का प्रावधान रखा गया। ये अपने पद के अनुरूप कर्तव्य का पालन करते थे। इनकी संख्या 100 से भी अधिक थी।
Marwar ke Ohadedaron ka Itihas mein Yogdan
मारवाड़ के ओहदेदारों का इतिहास में योगदान
Author : Hukamsingh Bhati
Language : Hindi
ISBN : 97881892453711
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP
₹399.00
Reviews
There are no reviews yet.