नागाणा धाम
प्रस्तुत पुस्तक मां नागणेचियांजी के उज्ज्वल और विराट चरित्र को उजागर करने वाला भव्य ग्रंथ के समान है तथा प्रत्येक देवी-भक्त और जिज्ञासु पाठक के लिए संग्रहणीय सिद्ध होगी। साथ ही इस क्षेत्र में शोध करने वाले शोधार्थियों का नवीन पथ प्रशस्त करने वाला दस्तावेज साबित होगा। Nagana Dham Nagnechiya Mata
(राठौड़ो की कुलदेवी श्री नागणेचियां माता का शोधपूर्ण इतिहास)
युद्व के समय योद्वा ‘जय माताजी’ का उद्घोष्ष किया करते थे। वैदिक युग से ही शक्तिपुजा का बड़ा महत्व रहा है। शक्ति के विविध अवतारों की पुजा-अर्चना का उल्लेख महाभारत काल में ही मिलता है। basically बल और बुद्वि-प्रदाता के रूप में शक्ति की उपासना युगो-युगों से होती आई है और आज भी शकित के विविध रूपों की आराधना कर मनुष्ष्य अपने मनोवांछित फल प्राप्त करने की चेष्ष्टा करता रहा है। यह सर्वविदित है कि प्रत्येक कुल या जाति की एक कुलदेवी होती है, जो उस कुल-जाति की रक्षा करती है। राठौड़ वंश में कुलदेवी के रूप में नागणेचियां माताजी पूजित है।
also परम्परा से पूर्व में राठेश्वरी, चक्रेश्वरी, पंखिणी आदि नामों से राठौड़ों द्वारा पूजा जाता रहा है। राजस्थान के राठौड़ राजवंश की कुलदेवी चक्रेश्वरी, राठेश्वरी, नागणेची या नागणेचिया के नाम से प्रसिद्ध है। श्री नागणेची माता के मन्दिर जालोर, जोधपुर, बीकानेर आदि के किलों में भी है।
जोधपुर के संस्थापक राव जोधा ने राठौड़ों की कुलदेवी माता नागणेच्या मूर्ति की स्थापना विक्रम संवत 1523 में मेहरानगढ़ में की थी। accordingly जोधपुर राज्य की ख्यात में लिखा है कि ‘राव धुहड़ विक्रम संवत 1248 ज्येष्ठ सुदी तेरस ने कर्नाटक देश सूं कुल देवी चक्रेश्वरी री सोना री मूरत लाय न गांव नागाणे थापत किवी। तिनसु नागणेची कहाई।’ मूर्ति में सिंह पर सवार मां नागणेच्या के मस्तक पर नाग फ न फैलाए हैं। माता के हाथों में शंख चक्र आदि हैं। नागणेच्या माता को मंशा देवी, राठेश्वरी, पंखणी माता के नाम से भी संबोधित किया गया है।
all in all Nagnechi Mata Itihas-Chamatkar-Aarti-Chalisa-Geet-Dohe (Duhe)-Stuti
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