गोरख वेदान्त : भारतीय धर्म साधना के इतिहास में महायोगी गुरु गोरखनाथ का अद्वितीय स्थान है। महायोगी गुरु गोरक्षनाथ ब्रह्मचर्य साधक, आचार प्रवण, योगनिष्ठ जीवन साधना के महानायक हैं। महायोगी गुरु गोरक्षनाथ देश-काल से परे योग पुरुष है। उनका अस्तित्व सार्वदेशिक व सार्वकालिक है। वह मध्य एशिया में अपनी सिद्धि व योग प्रवर्तक के लिए सम्मानित है, तो भारत में भी लब्ध प्रतिष्ठित है। अमर काय योगी के रूप में वह अजर, अमर है। महायोगी गुरु गोरक्षनाथ की अमरता देह-सिद्धता का अक्षर प्रमाण है।
गुरु गोरक्षनाथ महायोगी चारों युगों में प्रतिष्ठित है। महायोगी गुरु गोरक्षनाथ सतयुग में पंजाब के पेशावर (पाकिस्तान) में प्रकट हुए तथा त्रेतायुग में गोरखपुर में अधिष्ठित एवं द्वापर युग में हुरभुज (द्वारिका से भी आगे) तथा कलियुग में गोरखमढ़ी (सौराष्ट्र) में प्रतिष्ठित एवं प्रसिद्ध हैं। गुरु गोरक्षनाथ की शिष्य परम्परा तिब्बत, नेपाल, अफ़गानिस्तान आदि देशों में प्रभावकारी है तो भारत के विभिन्न प्रदेशों-बंगाल, उड़िसा, आसाम, कर्नाटक, पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान, सौराष्ट्र (गुजरात) आदि भी उनकी योग-साधना से कृतार्थ है।
इसका तात्पर्य है कि वे अमर, अजर, अखण्ड, अयोनिज हैं। अपनी योग- सिद्धि से वे चारों युगों को कृतार्थ और प्रभावित करते आ रहे हैं और करते रहेंगे।
Gorakh Vedant
गोरख वेदान्त
Author : Anubhavnath Shivyogi
Language : Hindi
ISBN : 9789390179411
Edition : 2021
Publisher : RG GROUP
₹259.00
Reviews
There are no reviews yet.