देवियांण (ईसरदास)
देवियांण एवं हरिरस महात्मा ईसरदास बारहट की अमर रचनाएँ हैं। भक्त-कवि ईसरदास की मान्यता राजस्थान एवं गुजरात में एक महान संत के रूप में रही है। इनका जन्म बाडमेर (राजस्थान) के भादरेस गाँव में वि. सं. 1515 में हुआ था। पिता सुराजी रोहड़िया शाखा के चारण थे एवं भगवान् श्री कृष्णके परम उपासक थे। जन मानस में भक्त कवि ईसरदास का नाम बडी श्रद्घा और आस्था से लिया जाता है। इनके जन्मस्थल भादरेस में भव्य मन्दिर इसका प्रमाण हैं, जहॉ प्रति वर्ष बडा मेला लगता हैं। Deviyan Isardas Pranit
also ईसरदास प्रणीत भक्ति रचनाओं में हरिरस, बाल लीला, छोटा हरिरस, गुण भागवतहंस, देवियांण, रास कैला, सभा पर्व, गरूड पुराण, गुण आगम, दाण लीला प्रमुख हैं। भक्ति साहित्य में ‘हरिरस’ सर्वाधिक चर्चित एवं अतुल्य कृति है जिसका राजस्थान, गुजरात एवं मालवा (मध्य प्रदेश) में असंख्य भक्तों द्वारा नित्य पाठ किया जाता है।
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सन्त शिरोमणि भक्त प्रवर महाकवि ईसरदास जी बारहठ रचित काव्य ग्रन्थ ‘हरि-रस’ निसन्देह डिंगल का सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्य ग्रन्थ होने के साथ-साथ धार्मिक दृष्टि से भी गीता से कम नहीं हैं। surely तभी तो उत्तरी भारत में धार्मिक आयोजनों में इसका पठन पाठन करने के अतिरिक्त मरणासन्न व्यक्ति को ‘हरि-रस’ का पाठ सुनाने से उसको मोक्ष प्राप्त होता है, ऐसी मान्यता है।
surely ऐसे पवित्र ग्रन्थ का सैकड़ों वर्ष पहले सिन्ध प्रान्त के मिठी चेलार में सिन्धी भाषा में सर्व प्रथम प्रकाशन हुआ और उसके पश्चात् गुजरात के लींबड़ी के राजकवि श्री शंकर दान जेठीभाई देथा के द्वारा शुद्ध काव्य पाठ के साथ सम्पादन कर प्रकाशन करवाया गया, जिनके लिए वे पाठकों की श्रद्धा के पात्र हैं।
all in all ज`कई विद्वानों ने ‘हरि-रस’ का सम्पादन हिन्दी व गुजराती भाषा में किया जिसके लिए वे सभी महानुभाव बधाई के पात्र हैं, परन्तु पिछले कुछ वर्षो से आधिकारिक रूप से शुद्ध छन्द – पाठ के साथ अनुवादित व सम्पादित ‘हरि-रस’ की सर्व सुलभता में न्यूनता का आभास पाठकों को होने लगा था।
Deviyaan Editor : Jaswant Singh, Dr. Sohandan Charan, Dr. Ambadan Rohadiya, Shubhkaran Dewal, Ratudan Rohadiya
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