माँ आशापुरा का मंदिर तथा नाडोल का राजवंश
असुरों का संहार और दुष्टों का दलन कर अपने भक्तों का रक्षण करने वाली आद्यशक्ति माँ भगवती को पृथ्वीमण्डल पर बार-बार अवतरित होना पड़ा है। जबजब महाबली दैत्यों ने देवताओं का अस्तित्व मिटाना चाहा, तब-तब माँ ने अनेक रूप धारण कर दैत्यों का संहार किया तथा देवताओं को अभयदान दिया। Aashapura Mandir Nadol Rajvansh
1. महामाया का प्राकट्य
2. महामाया ही माँ शाकम्भरी है
3. चौहानों की इष्टदेवी माँ शाकम्भरी ही क्यों ?
4. माँ शाकम्भरी की कृपा से चौहान राजवंश का उदय
5. माँ का चमत्कार : नाडोल राजवंश की स्थापना
6. नाडोल का अतीत और आशापुरा का धाम
7. नाडोल के चौहान राजाओं का क्रम
8. आशापुरा माँ : भण्डारियों और जड़ेचा की कुलदेवी
9. माँ आशापुरा की महिमा, स्तुति, आरती तथा चन्द कृत स्तुति
10. नवरात्र पर पढ़े जाने वाले मंत्र
11. ओसवालों के गोत्रों की कुलदेवी
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