‘वीर सतसई : नाथुसिंह महियारिया कृत’ का सम्पादन निहायत अच्छे ढंग से किया गया है। इस महाकवि के काव्य की आलोचना के लिए यह भूमिका अनमोल भण्डार बनी रहेगी। जिस सूक्ष्मता के साथ ‘वीर सतसई’ के काव्य-गुणों का विश्लेषण इस भूमिका में किया गया है, जिस साहित्यबोध का दिखाई देता है, वह आधुनिक भाषा-साहित्य की आलोचना में उल्लेखनीय है। इस सुन्दर शोध-विचारपूर्ण संस्करण के लिए प्रत्येक साहित्यामोदी सज्जन प्रकाशक एवं सम्पादकों का आभारी रहेगा।
यह पुस्तक राजस्थानी तथा हिन्दी साहित्य के अध्ययन और अध्यापन में विशेष उपयोगी होगी। मेरी आशा है कि गुणग्राहक विशेषज्ञों तथा पण्डितों में इसका समुचित आदर होगा और विभिन्न विश्वविद्यालयों में पाठ्य पुस्तकों में नियत की जाएगी एवं केन्द्रीय तथा प्रान्तिक सरकारों के शिक्षा विभागों द्वारा यह ग्रंथ वाचनालयों तथा शिक्षा-मन्दिरों के लिए एक पारितोषिक के लिए स्वीकार किया जाएगा। इस आशा के साथ मेरी यह हार्दिक कामना भी है कि उपर्युक्त प्रकार से और अखिल भारतव्यापी प्रभाव-सम्पन्न तथा अन्य सभी हिन्दी तथा हिन्दी-प्रेमी प्रतिष्ठानों एवं गुणज्ञ जनता द्वारा इस पुस्तक का योग्य आदर हो।

Veer Satsai : Nathu Singh Mahiyariya Krit
‘वीर सतसई : नाथुसिंह महियारिया कृत’
Author : Nathu Singh Mahiyaria
Language : Hindi
ISBN : 9788186103043
Edition : 2014
Publisher : RG GROUP
₹250.00
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