Krisan Rukmani Ri Veli Rathore Prithviraj Ri Kahi

क्रिसन-रूकमणी री वेलि राठौड़ पृथ्वीराज री कही
Author : Narottamdas Swami
Language : Hindi
ISBN : 9789385593659
Edition : 2016
Publisher : RG GROUP

400.00

SKU: RG448 Category:

क्रिसन-रूकमणी री वेलि राठौड़ पृथ्वीराज री कही : ‘वेली’ का यह पूर्णतया संशोधित संस्करण है। इस संस्करण में नवीन खोजों का समावेश करके उसे अद्यतत और शुद्धम बनाने का प्रयास किया गया है। सदा की भांति इस बार भी श्री अगरचंद नाहटा से पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ है। इस बीच में श्री नरेन्द्र कुमार भाणावत ने मेरे निर्देश में ‘वेली-साहित्य’ का विस्तृत शोध-निबन्ध प्रस्तुत किया है। उससे भी लाभ उठाया गया है। बहुत ही उपयोगी पुस्तक है, बड़ी योग्यता से इसका सम्पादन हुआ है। विस्तृत भूमिका में अनेक बातें ऐसी है, जिनका ज्ञान मुझे नहीं था। काव्य की समीक्षा बहुत सुन्दर है। वेली के जितने संस्करण अब तक प्रकाशित हुए है, उच्च कक्षा के परीक्षार्थियों को दृष्टि से यह उनमें सर्वश्रेष्ठ है। लम्बी प्रस्तावना सम्पादक की विद्वता और भ्रम से भली-भांति परिचय देती है। उन्होंने वेलि से सम्बंधित सभी विषयों पर विस्तृत विचार कर सराहनीय कार्य किया है। एक कमी की पूर्ति करने के रूप में व ग्रन्थ को बहुत ही उपयोगी बनाने के लिए साधूवाद के पात्र हैं। ग्रन्थ का यह संस्करण अपने पूर्ववर्ती संस्करणों की अपेक्षा उत्तम और उपयोगी बन गया है। संस्करण में विद्वान सम्पादक ने जो प्रचुर अध्ययन-सामग्री प्रस्तुत की है, वह न केवल इस ग्रन्थ के अध्ययन में सहायक सिद्ध होगी अपितु इस प्रकार के अन्य ग्रंथों के अध्ययन में भी पर्याप्त सहायता पहुँचायेगी। इसके द्वारा केवल विद्यार्थियों को ही लाभ न पहुँचेगा, अपितु उन विद्वानों को भी इस संस्करण से प्रचुर सहायता और सामग्री मिलेगी जो प्राचीन ग्रन्थों से सम्पादन और अनुसन्धान-कार्य में संलग्न हैं। ‘अनुक्रम’ पर दृष्टिपात करने से स्पष्ट हो जाता है कि इसमें सभी उपेक्षित विषय आ गये है। इस प्रकार तुलनात्मक समीक्षा और मूल्यांकन की दृष्टि से यह संस्करण अद्वितीय है और हिन्दी-साहित्य में सर्वप्रथम प्रस्तुत हुआ है। हमें पूर्व आशा है कि अनुसन्धान-कार्य में प्रवृत्त विद्या-व्यसनी सज्जनों के लिए ‘वेलि’ का यह संस्करण पथ-प्रदर्शन करेगा।

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