जन जातियों में गाथा गायकी : सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष है कि सारे जनपदों, सारे अंचलों, सारे समूहों तथा ग्रामों, बस्तियों, मंडलों, बोलियों, वाणियों तथा बसावटों में मुख्य मनुष्य है। मुख्य ही नहीं अपितु केंद्र में है। वही उसकी मुख्य धुरी हैं । वे ही उसके मूल आधार हैं। उसकी सत्ता और उसका आसन सर्वोपरि है। इसलिए उसी में हमारी गहरी पैठ, पहुंच, रुचि एवं रस होना चाहिए। वह मनुष्य ही है जो अतीत के व्यतीत को व्यावहारिक दर्शन देता है। उसकी अनगिनत अदृश्य परंपराओं को दर्शित कर वर्तमान पीढ़ी को हस्तांतरित करता है।
ऐसे एक संदर्भ में नहीं, अनेकानेक अनंत संदर्भो में मनुष्य अपने स्वयं में पूर्वजों द्वारा संचित, रक्षित तथा रूपित किये ज्ञान का भंडारण बन जहां अतीत को वर्तमान जीवी बनाता है वहीं वह वर्तमान के भावी को मायावी बनाकर अपने कर्म, वाणी और दृष्टि से भविष्य को भाषित करने का सिद्धार्थ देता है।
सच तो यह है कि मनुष्य की शक्ति असीम है। उसकी शक्ति-साधना में शताब्दियों और सहस्त्राब्दियों के सूत्र समन्वित हुए मिलते हैं। उसके मन की उड़ानों और मस्तिष्क की खदानों में सभ्यता तथा संस्कृति के संस्कारों की अनेक अनघड़ धाराओं में वे सारे लोक आलोकित हैं जो सृष्टि के सदाबहार दस्तावेजीकरण बने हुए हैं।
प्रकृति के सारे उपादान, सृष्टि के सारे गोचर-अगोचर, जन-मन के सारे बोल-अबोल मनुष्य की पराशक्ति के कायल हैं । मनुष्य इन सबके साथ रमणशील है। गुफाएं उसे गुंजन देती हैं। पहाड़ उसके हाड़ में दहाड़ भरते हैं। नदियां उसे प्रवाह देती हैं। वनस्पतियां उसकी वाणी का संचार करती हैं। कंद उसे कर्कश होने से रोकते हैं । मूल उसे मनस्वी बनाते हैं। फल उसे फलित हुआ करते हैं और फूल उसके शूलपन को धुनकी देते कपास के
श्वेत-उज्ज्वल रेशे सा रसीला बनाते हैं। इन सबमें जनजातियों के जनपदों की जीवनी शक्ति सर्वथा निराली, अनुपम, अनोखी और अनिर्वचनीय ही है।
Jan Jatiyon mein Gatha Gayaki
जन जातियों में गाथा गायकी
Author : Mahendra Bhanawat
Language : Hindi
ISBN : 9789387297647
Edition : 2019
Publisher : RG GROUP
₹350.00
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