राजस्थानी री ऐतिहासिक बातां
सन् 2003 में एक शादी में जैसलमेर गयौ। आथूणा राजस्थान में हाल तक पुराणा रीत रिवाज जीवता है। मेहमांन जावै जद लोक कलाकार, ढोली, दमांमी, मीरासी, लंगा, ढाढी वगैरा आवै। सुभराज करै। कलाकारी बतावै। Rajasthani Ri Aitihasik Batan
गावै बजावै अर मेहमांनां रो मनोरंजन करै। बदळा में मेहमान भी वांनै सीख देवै। आ जूनी रीत अजेज कायम है। इण मौका पर एक मीरासी अनेक दूहा कैय सुभराज करिया। उणमें एक दूहौ तो भाटी भैरजी पर हौ अर एक दूहौ रूपावत पर हौ। मैं इण सारू उण मीरासी नै पूछीयौ; जसबोजी ए भैरजी कुण हा? कयौ अन्नदाता पळी रा भाटी हा। कांई करतब कीनो जिण सूं गीतां में गाईजिया? घणी खम्मा, दातार घणा हा। फेर इण सूं बधती बात तो नहीं जांणू।
अर औ रूपावत?
ए भी मालकां सुणी है कै कठेई झगड़ा में कांम आया। कुण हा कठारा हा आ खबर नहीं। विचार आयौ वीरां रा अर दातारां रा रंग देईजै, दूहा गीतौ में गाईजै पर इण सूं बत्ती जांणकारी नहीं मिलै।
इण खातर दूहां सूं जुड़ियोड़ा मिनखां रे करतबां सारू ख्यातां, बातां, गीतां, इतिहास री पोथीयां देखणी सरू कीवी। अर इण दूहां में छिपयोड़ी बातौं सांमी आई। ए बातां म्हैं बोलचाल री भाषा में लिखी है। आ भाषा मैं मा रै पेट में हौ जद सूं लेय आज तक सुणतौ आयौ अर जन्मीयां पछै आज तक बोलतौ आयौ।
Rajasthani Ri Aitihasik Batan | राजस्थान री ऐतिहासिक बाता | Rajasthan Ki Aitihasik Batan
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