“भला जो देखण म्हें चला” पुस्तक रूप में वर्तमान समाज में व्याप्त कुरीतियों और पाखण्ड के विरुद्ध एक संवेदनशील लेखक की रचनात्मक कार्यवाही है। कैलाशदान लालस ने कुशलतापूर्वक सामान्य-जीवन के विविध पक्षों का अपनी पैनी नज़र से अवलोकन किया है तथा जीवन की विकृतियों और विडंबनाओं पर उँगली रखी है। लालस की ये रचनाएँ पाठक को हंसाने या गुदगुदाने के लिए नहीं है। वस्तुतः ये व्यंग्य – लेख व्यवस्था के नाकारपन और मानव-व्यवहार के दोगलेपन पर तीव्र प्रहार हैं। लेखक न केवल स्वयं विसंगतियों से विचलित है, बल्कि अपने पाठक से अपेक्षा करता है कि वह भी कुछ छटपटाहट महसूस करे और उन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें।
बेईमानी, भ्रष्टाचार, आपाधापी और आडम्बर ने किस तरह मनुष्य-जीवन को कष्टप्रद बना रखा है, यह पुस्तक इसी बात का साहित्यिक लेखा-जोखा है। राजस्थानी के मौलिक मुहावरों और सरल भाषा-शिल्प ने लेखक के चिंतन और सरोकार को धारदार और सहज सम्प्रेषणीय बना दिया है। “भला जो देखण म्हें चला” पुस्तक आधुनिक राजस्थानी व्यंग्य-साहित्य की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
Bhala Jo Dekhan Mai Chala
भला जो देखण म्हैं चला
(राजस्थानी व्यंग्य संग्रह)
Author : Kailashdan Lalas
Language : Rajasthani
Edition : 2017
ISBN : 9788188757343
Publisher : Rajasthani Granthagar
₹300.00 ₹239.00
Category: Rajasthani Stories & Satires
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