राजस्थानी कहावतें : एक अध्ययन : कहावतों के महत्त्व के सम्बन्ध में अनेक बातें कही जा सकती है। यह पिछली पीढ़ियों के अनमोल अनुभवों का भण्डार है। कहावतें भाषा का श्रृंगार है, इनके प्रयोग से भाषा में सजीवता का संचार होता है। कहावतें झूठ नहीं बोलती, वे मानव के अनुभव की सन्तान है। कहावतें और मुहावरे लोगों की सम्पूर्ण सामाजिक और ऐतिहासिक अनुभूतियों के संक्षिप्त रूप है। ईसा मसीह, गौतम बुद्ध और सुविख्यात दार्शनिक अरस्तू कहावतों के प्रभाव को स्वीकार कर इनका बहुलता से प्रयोग करते थे।
“राजस्थानी कहावतें – एक अध्ययन” के लेखक श्री कन्हैयालाल सहल राजस्थानी साहित्य और संस्कृति के विद्वान थे और उनका यह अद्वितीय शोध ग्रन्थ अथक परिश्रम तथा गहन गम्भीर सोच का प्रतिफल है, जो भावी पीढ़ियों के लिये उपयोगी बना ही रहेगा।
प्रस्तुत ग्रन्थ कहावतों के संकलन मात्र तक सीमित नहीं है। श्री कन्हैयालाल सहल ने राजस्थानी कहावतों की समाजशास्त्रीय, सांस्कृतिक साहित्यिक तथा भाषागत सारगर्भित विवेचना की है तथा कहावत से सम्बन्धित कथा का विवरण भी प्रस्तुत किया है। श्री कन्हैयालाल जी ने कहावतों का रूपात्मक और विषयानुार वर्गीकरण कर अपने शोध ग्रन्थ को स्थाई महत्त्व प्रदान कर दिया है। वर्गीकरण से पाठक को सहज ही वांछित विषय से सम्बन्धित कहावत मिल जाती है, जैसे नारी से सम्बन्धित राजस्थानी कहावतों को पुनः कन्या-जन्म, पराधीनता, फूहड़ स्त्री, विधवा, लाडी, बड़ी बहू, सास-बहू, नारी सम्बन्धी धारणाएँ और आदर्श नारी आदि उप शीर्षकों में विभाजित किया गया है। निस्सन्देह इस महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ के लेखक श्री कन्हैयालाल सहल का यश अमर बना रहेगा।
Rajasthani Kahawaten : Ek Adhyayan
राजस्थानी कहावतें : एक अध्ययन
Author : Kanhaiyalal Sahal
Language : Hindi
Edition : 2017
ISBN : 9789385593635
Publisher : Rajasthani Granthagar
₹399.00
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