नीति के राजस्थानी दोहे (मूलपाठ एवं हिन्दी अनुवाद) : समस्त भाषाओं की जननी संस्कृत की सूक्तियां या श्लोकों की भाँति विश्व की समस्त भाषाओं में देश, काल, परिस्थिति के अनुसार नीति से सम्बन्धित साहित्य उपलब्ध है, लेकिन 7 करोड़ सन्तानों की माँ राजस्थानी भाषा के अथाह साहित्य रूपी समुद्र में बेशुमार अनमोल दोहे रूपी मोती भाषा की क्लिष्टता के आवरण में ढ़के पड़े है। भाषा की क्लिष्टता का कारण, कि राजस्थानी भाषा संवैधानिक मान्यता के अभाव में काम, चलन या व्यासायीकरण में सहायक नहीं होने के कारण लोगों ने इसका पठन कम कर दिया, जिससे लोगों में शब्द भण्डार का अभाव पैदा हो गया, परिणाम स्वरूप राजस्थानी के नीति के दोहों को पढने या समझने-समझाने पर विराम लग गया। मैंने स्नातकोत्तर तक राजस्थानी भाषा का अथक अध्ययन-अध्यापन किया। इस दौरान मेरे को राजस्थानी भाषा में नीति के वे सुन्दरतम सारगर्भित एवं ज्ञान वर्धक दोहे पढ़ने को मिले, जो विश्व की कोई अन्य भाषा में नहीं के बराबर ही है। इन में से लगभग ग्यारह सौ नीति से सम्बन्धित दोहे मैंने कलमबद्ध कर सुरिक्षत रख दिये। कालान्तर में मेरे दोहा-संग्रह की हस्तलिखित पुस्तक कई बन्धुजनों ने पढ़ी, लेकिन इन दोहों का आधा-अधूरा भावार्थ समझ में आने से जिज्ञासा शान्त नहीं हुई, तब मेरे मन में विचार आया कि इन अमूल्य दो पक्तियों वाले दोहों का सरलार्थ करना मातृ-भाषा एवं साहित्य जगत की सेवा होगी। इसी भाव को मन में रखकर मैंने मेरे द्वारा संग्रहीत नीति के दोहों का भावार्थ लिखना शुरू किया, जो आज आप जैसे सुज्ञानियों के हाथों में (पुस्तक के रूप में) हैं।
Niti Ke Rajasthani Dohe
नीति के राजस्थानी दोहे (मूलपाठ एवं हिन्दी अनुवाद)
Author : Chandradan Ranidan Charan
Language : Hindi
Edition : 2018
ISBN : 9788184168612
Publisher : Rajasthani Granthagar
₹319.00
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