राजस्थानी हिन्दी अंग्रेजी शब्दकोश
शब्दकोश : सृजन की सार्थकता एवं जीवंतता का आधार
मनुष्य अपने बुद्धि – बल एवं भाषा के कारण ही संसार में सभी प्राणियों में श्रेष्ठ माना जाता है। इस सृष्टि की सृजना से लेकर अब तक मनुष्य के विकास की यात्रा जितनी अनूठी है उतनी ही मनुष्य के भाषा की विकास यात्रा भी अपने आप में अद्भुत है। वास्तव में देखा जाए तो युगों तक जंगली जीवन व्यतीत करने के पश्चात् जब ने अपने मन के भावों को शब्दों के माध्यम से समझने-समझाने में सफलता प्राप्त की तब से लेकर अब तक इस सृष्टि में भाषा एवं लिपि का विकासक्रम निरन्तर चलता रहा है। Rajasthani Hindi English Dictionary
राजस्थानी हिन्दी अंग्रेजी शब्दकोश
भाषा के विकास का यह क्रम जब संकेत से भाषा तक पहुंचा तो इस युगयुगीन लम्बी भाषायी विकास यात्रा में अनेक भाषाओं के नाम सामने आते हैं मगर उनमें से ज्यादातर भाषाएं एक समय विशेष के पश्चात् विलुप्त हो गईं। वैसे सभी भाषा वैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि भाषा सदैव परिवर्तनशील होती है but मगर जिस भाषा का उस समय विशेष में एक ‘शब्दकोश’ का सृजन हो जाता है वो भाषा सदैव जीवित रहती है। जैसे- भारतीय भाषाओं में देववाणी के रूप में संस्कृत को सबसे प्राचीन भाषा माना जाता है।
संस्कृत भाषा के उद्भव से लेकर आज तक अनेकानेक भाषाओं का उल्लेख मिलता है जो अभी अस्तित्व में नहीं हैं मगर संस्कृत सहित जिन भाषाओं का शब्दकोश बना वो भाषाएं लोक में आज भी जीवित हैं और सदैव रहेंगी। all in all इस दृष्टि से अगर हम राजस्थानी भाषा के गौरवशाली साहित्यिक इतिहास को ध्यान में रखते हुए विचार करें तो एक महत्त्वपूर्ण बात सामने आती है कि राजस्थानी भाषा – साहित्य में शब्दकोश सृजन की परम्परा रही है। निसंदेह यह परम्परा राजस्थानी भाषा की जीवंतता लिए एक वरदान सिद्ध हुई है। अत: यह कहना समीचीन होगा कि किसी भी भाषा के शब्दकोश का निर्माण मानव के सृजन की सार्थकता एवं जीवंतता का आधार है।
Rajasthani Hindi Angreji Shabdakosh (Rajasthani Hindi English Dictionary)
राजस्थानी भाषा-साहित्य में शब्दकोश सृजन की एक समृद्ध परम्परा रही है। प्रामाणिक रूप से इस भाषा का प्रथम शब्दकोश ‘डिंगळ नांममाळा’ नाम से मिलता है जो हरराज द्वारा सन 1561 के आसपास रचा गया था। also राजस्थानी भाषा के प्राचीन शब्दकोश की एक विशेषता यह भी है कि वो गद्य के अलावा पद्य में भी रचा गया था जिसमें राजस्थानी की डिंगळ और पिंगळ दोनों काव्य शैलियों के दर्शन होते हैं।
यहां पर इस बात का उल्लेख करना भी समीचीन होगा कि राजस्थानी भाषा में एकाक्षरी, अनेकार्थी एवं छंदोबद्ध शब्दकोश भी लिखे गए हैं जो पर्यायवाची, छंद तथा अलंकार की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है। शब्दकोश निर्माण की यह परम्परा आधुनिक काल में और अधिक वैज्ञानिक एवं प्रामाणिक रूप से समृद्ध नजर आती है जब पद्मश्री सीताराम लाळस ने ‘राजस्थांनी सबद कोस’ का नौ खंडों में सृजन कर ऐतिहासिक कार्य किया।
वास्तव में यह शब्दकोश संसार का एक अद्भुत शब्दकोश है जिसमें राजस्थानी भाषा के लगभग ढाई लाख शब्द समाहित किए गए हैं। so इससे प्रेरित होकर अनेक रचनाकारों ने इस दिशा में अगला कदम उठाते हुए राजस्थानी भाषा के साथ अन्य भाषाओं के शब्दकोश निर्माण का बीड़ा उठाया, जिसमें श्री भंवरलाल सुथार एवं डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित द्वारा त्रिभाषा शब्दकोश ‘राजस्थानी – हिन्दी-अंग्रेजी शब्दकोश’ उल्लेखनीय है।
accordingly इस शब्दकोश में लगभग बीस हजार राजस्थानी शब्द है जिनका राजस्थानी, हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में अर्थ देने के साथ ही राजस्थानी के मूल शब्द को रोमन अंग्रेजी लिपि में भी लिखा गया है। निःसंदेह यह शब्दकोश राजस्थानी भाषा – साहित्य को जीवंतता प्रदान करने के साथ ही देश और दुनिया के लिए बहुत ही उपयोगी एवं सार्थक सिद्ध होगा। Rajasthani Hindi English Dictionary
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