औदणियं नी पीड़
कविता नाउम्मेदी थकी बाण्णै आवी जावा नौ संदेस है। बौबड़ायला सवदं नूं हथियार है। अंधारा मों अजुवाळा नूं राज-पाट आब्बा नौ दरवाजौ है। पोता नी संस्कृति नै बचावी राखवा नूं साधन है। कविता भूख ऊं लड़वा वाळं मनखं आड़े दया करूणा वताड़वा नौ मारग है। कविता सौसण नै खिलाप संघर्स अर विद्रोह करवा नूं सस्तर है। Odaniya Nee Peed
कविता फगत सबदं नौ गुलदस्तौ नती। बिम्ब अर प्रतिकं ना फूलं मों लयात्मकता ना दौरा ऊं गूथैलौ हार है। कविता व्हो अमरत कलस है जैनूं अक ओक टेपू सबदं रूप मझें गळे उतरै तौ मयलौ तरपत थई जाय।
महाकवि जयसंकर प्रसाद औ कविता रचाव नै अनन्त जनमं नूं फल फलीभूत थावू वताड्यू है। व्ही कयं के कविता हांबळवू अर हंबलाब्बू हेत्तं ना भायग मों न्हें व्हे। कविता मझें उकेरेला विच्यारं नै पोता नी जीवणी मनें ढाळवू तौ वधू जौखम भश्यू काम है।
आजै दुनिया मों लाखौ बोलियै अर हजारो भासाओं बोलवा अर लखवा मझें आवैं पण अणा कमप्यूटर जुग मों घणी आखी भासाओ अर बोलियै दम तौड़ीनै अलोप थाती जाई रई हैं। ई बोलियै हाका करती गांगेड़ी रई हैं अमनै बचावौ पण कोय हाम्बळनार न्हें है। Odaniya Nee Peed
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