वीरवर जयमल मेड़तिया
कर्नल जेम्स टाॅड की राजस्थान के प्रत्येक राज्य में ‘थर्मोपल्ली’ जैसे युद्ध और ‘लियोनिडास’ जैसे योद्धा होने की बात स्वीकार करते हुए भी वीरवर जयमल मेड़तिया इन सब में श्रेष्ठ दिखलाई पड़ता है। जयमल को सदैव ही सैनिक शक्ति और साधनों की दृष्टि से अपने से कई गुना अधिक सम्पन्न मालदेव तथा अकबर जैसे सम्राटों से युद्ध करना पड़ा। जिस मालदेव से जयमल ने लगभग 22 युद्ध लड़े, वह सैनिक शक्ति में जयमल से 10 गुना अधिक था, तो जोधपुर के साधन मेड़ता से और अधिक थे। जयमल मेड़तिया का दूसरा विरोधी अकबर समस्त एशिया का सर्वाधिक साधन सम्पन्न और विशाल सैन्यवाहिनी का स्वामी था। Veervar Jaimal Mertiya
यहां यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि अपने राज्य पर विपत्ति के समय तो अल्प साधन होते हुए भी अनेक अन्य व्यक्तियों ने भी शत्रु का वीरतापूर्वक सामना किया। किन्तु वीरवर जयमल ने मालदेव से युद्ध तो संभवतः अपने पैतृक राज्य मेड़ता की रक्षार्थ ही किए, but अकबर का सामना उसने अपने राज्य की रशक्षार्थ नहीं बल्कि एक महत्वाकांक्षी आक्रांता के विरुद्ध किसी भी छोटे राज्य की स्वतंत्रता के अधिकार की पुष्टि हेतु किया। इतिहास में वह ऐसा अनन्य योद्धा था जिसने साक्षात् मृत्यु का सामना स्वतंत्रता, शौर्य और बलिदान जैसे मूल्यों को इतिहास में अमरत्व प्रदान करने के उद्देश्य से ही किया।
also जयमल जी के बाद से ही एक कहावत प्रचलित है की – Veervar Jaimal Mertiya
“मरण नै मेडतिया अर राज करण नै जौधा “
“मरण नै दूदा अर जान (बारात) में ऊदा “
accordingly कहावतों में मेडतिया राठोडों को आत्मोत्सर्ग में अग्रगण्य तथा युद्ध कौशल में प्रवीण मानते हुए मृत्यु को वरण करने के लिए आतुर कहा गया है मेडतिया राठोडों ने शौर्य और बलिदान के एक से एक कीर्तिमान स्थापित किए है और इनमे जयमल जी मेडतिया का नाम सर्वाधिक प्रसिद्ध है। कर्नल जेम्स टोड की राजस्थान के प्रत्येक राज्य में “थर्मोपल्ली” जैसे युद्ध और “लियोनिदास” जैसे योद्दधा होनी की बात स्वीकार करते हुए इन सब में श्रेष्ठ दिखलाई पड़ता है।
जिस जोधपुर के मालदेव से जयमल जी को लगभग 22 युद्ध लड़ने पड़े वह सैनिक शक्ति में जयमल जी से 10 गुना अधिक था और उसका दूसरा विरोधी अकबर एशिया का सर्वाधिक शक्तिशाली व्यक्ति था। अबुल फजल,हर्बर्ट,सर टामस रो, के पादरी तथा बर्नियर जैसे प्रसिद्ध लेखकों ने जयमल के कृतित्व की अत्यन्त ही प्रसंशा की है। at least जर्मन विद्वान काउंटनोआर ने अकबर पर जो पुस्तक लिखी उसमे जयमल जी को “Lion of Chittor” कहा है।
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