Rajputana me Samajik Kuritiya evam Niwaran

राजपुताना में सामाजिक कुरीतियां एवं निवारण
Author : Dr. Sumesta
Language : Hindi
ISBN : 9789390179077
Edition : 2020
Publisher : RG Group

509.00

राजपुताना में सामाजिक कुरीतियां एवं निवारण : पुस्तक, ‘राजपूताना में सामाजिक कुरीतियाँ एवं निवारण (पश्चिमी राजपूताना के विशेष संदर्भ में 1800-1950 ईस्वी) में पश्चिमी राजपूताना में घटित सामाजिक घटनाओं, कुप्रथाओं उनके उन्मूलन हेतु रियासती प्रशासन एवं ब्रिटिश नीति, गैर सरकारी संगठनों एवं संस्थाओं के साथ-साथ, निजी प्रयासों का अन्वेषण किया गया है। स्त्रियों, दलितों एवं सामाजिक तौर पर पिछड़े वर्गों की सामाजिक स्थिति का विश्लेषण व्यापक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में किया गया है। पुस्तक उक्त क्षेत्र एवं अवधि में उपर्युक्त विषयों का विस्तृत वर्णन बिना किसी पूर्वाग्रह के करती है।
पुस्तक में 7 अध्याय हैं-प्रथम, भूमिका में विषय के चयन, इसकी महत्ता एवं प्रासंगिकता के साथ विषय पर पूर्व एवं वर्तमान में हुए शोध कार्यों की समालोचना प्रस्तुत की गई है। दूसरे अध्याय, भूगोल, इतिहास, राजनीति, अर्थव्यवस्था एवं समाज में यह उल्लेख किया गया है कि राजपूताना में प्राकृतिक संसाधनों की अपर्याप्तता, सामंतीय-औपनिवेशिक शोषण, आर्थिक पिछड़ेपन, प्रशासनिक शिथिलता एवं संघर्ष, अनुपयोगी एवं अकृषियोग्य भूमि की अधिकता के कारण सामान्य जीवन काफी कष्ट कर रहा। शिक्षा की व्यवस्था न होने से आमजन में अंधविश्वास और अतार्किक मान्यताओं के नाम पर अनेकों कुरीतियाँ प्रचलित हो गई, जिन्हें धार्मिक विश्वास ने और भी गहरा कर दिया। तीसरा, कुप्रथाएँ : व्यापकता एवं कारण तथा समाज के विभिन्न वर्गों व जातियों पर इनके प्रभाव का विश्लेषण किया है। चौथा, भारत में अंग्रेजी नीति एवं उसका राजपूताना की सामाजिक स्थिति पर प्रभाव में अंग्रेज पॉलीटिकल एजेंट्स द्वारा देशी राजाओं को सामाजिक कुप्रथाओं को प्रोत्साहन न देने, उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान करने व इन्हें रोकने के लिए कदम उठाने की नीतियाँ शामिल हैं। पांचवां, रियासती प्रशासनिक नीतियाँ एवं समाज सुधार : आकलन, में देशी नीतियों का विश्लेषण किया गया है। छटवें में समाज सुधार : आर्य समाज, जाति सभाओं एवं पंचायतों, कवियों, गीतकारों तथा पत्र-पत्रिकाओं की भूमिका का आकलन किया है। सातवें, शैक्षणिक विकास एवं समाज सुधार में कुप्रथाओं के निवारण में शिक्षा की भूमिका का वर्णन किया गया है।
स्रोत (कवर फोटो): 1. विचित्र कुमार के सती होने का उल्लेख, बीकानेर राजघराने का विश्राम स्थल, सागर, बीकानेर
2. दीपकंवर-सती मंदिर में सती की मूर्ति जिस पर वर्तमान में पूजा अर्चना करने वालो ने लाल व पीले रंग के टीके लगाकर रंगा हुआ है, बीकानेर राजघराने का विश्राम स्थल, सागर, बीकानेर।

3 reviews for Rajputana me Samajik Kuritiya evam Niwaran

  1. Aryan

    I find it it a great work about the social abuses like sati, child infanticide, mismatch marriages, child marriage, sale purchase of women, witchcraft, death feast, etc– in Rajasthan in 19th and 20th centuries. The voice raised by the great social reformers — individuals and non governmental organizations in Rajasthan. Interestingly, the book points towards the social abuses in historical perspective. Some of these social evils are still prevalent in present society Viz: the book talks about kanaya Hatya which is continuing now in the form of child infanticide; sale purchase of women still there in our society (people are buying wives from north east, Odisha, Jharkhand, Bihar etc); child marriage is still continuing.
    Apart from the subject the book is with full of references. Its an excellent work on social history in Rajasthan.

  2. Dr.Naushad Ali

    Excellent work on Rajasthan Social History

  3. राजेश कुमार

    पुस्तक, 19 में एवं 20वीं शताब्दी में राजस्थान में सामाजिक कुप्रथाओं पर एक अच्छा अन्वेषण प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक में लेखिका ने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में सती प्रथा, विधवा पुनर्विवाह का प्रचलन न होना, विधवाओं की दयनीय स्थिति, मृत्यु भोज, बेमेल विवाह, बाल विवाह, डाकन प्रथा, बालिका हत्या, समाधि प्रथा इत्यादि आयामों का विश्लेषण अभिलेखिय दस्तावेजों (सरकारी तथा गैर सरकारी दस्तावेजों) के प्रकाश में किया गया है। निश्चित ही पुस्तक ऐसे विषयों का एतिहासिक अन्वेषण करती है जो आज भी हमारे समाज में प्रचलित हैं। यथा: आज भी हमारे समाज में कन्या भ्रूण हत्या होती है, आज भी हमारे समाज में उत्तर पूर्व, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार से उतर भारत एवं उत्तर पश्चिम भारत में महिलाओं को खरीद कर लाया जाता है। पुनः पुस्तक जागरुक समाज सुधारकों, संस्थाओं, जाति पंचायतों के समाज सुधारक कार्यों का सटीक विश्लेषण प्रस्तुत करती है।

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