राजस्थान के जाटों का इतिहास
जाटों का गौरवमय व गरिमामय इतिहास रहा है, but उसे लेखनीबद्ध नहीं करने के कारण हमें उनके बारे में न्यूनतम जानकारी ही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने ‘जाटों का प्रामाणिक इतिहास’ लिखने का प्रयास किया है। इसमें इतिहास के उन पहलुओं को उजागर किया है, जिस पर जाट कौम गर्व कर सकती है। Rajasthan Jaaton Ka Itihas (Jat History of Rajasthan)
such as जाट कौम ने ही विदेशी आक्रमणकारी महमूद गजनवी व मुहम्मद गौरी की प्रतिष्ठा को धूल में मिलाया था। इसी तरह लोकदेवता के रूप में जहां तेजाजी व बिग्गाजी ने समाज में एक विशेष स्थान बनाया है, वहीं संत शिरोमणि फूलीबाई ने भक्ति मार्ग द्वारा लोगों को मुक्ति का मार्ग बताया है। भक्त शिरोमणि रानाबाई तो वृन्दावन जाकर स्वयं भगवान गोपीनाथ को राधा सहित अपने गांव हरनावां ही ले आई थी, वहीं वात्सल्य भक्ति की प्रतिमूर्ति करमाबाई ने तो अपनी भक्ति से साक्षात् भगवान को अपने खीचड़े का भोग लगाने को विवश कर दिया था और धन्ना भक्त ने तो अपनी भक्ति के प्रताप से बिना बोये ही खेत में अन्न उपजा दिया था।
Rajasthan Ke Jaaton Ka Itihas
also मुगल सम्राटों का मानमर्दन करने में भी जाट पीछे नहीं रहे थे। उनके लाख प्रयत्न करने के बाद भी महान् मुगल सम्राटों की नाक के नीचे उनकी राजधानी आगरा के पास ही अपना भरतपुर का राज्य स्थापित करने में जाट सफल हूए थे। इसी तरह जिस अंग्रेज शक्ति का पूरे विश्व में साम्राज्य था, उसी अंग्रेज शक्ति को 1804 ई. में जाटों ने भरतपुर के किले में धूल चटा दी थी। कहने का तात्पर्य यह है कि इस तरह की सैंकड़ों घटनां हैं, जिनका वर्णन इस पुस्तक में किया गया है। इस पुस्तक को पढ़ने से जहां जाट कौम में अपने पूर्वजों के कृत्यों पर गौरव का अनुभव होगा, वहीं दूसरे लोगों को भी जाट कौम के बारे में जानने का मौका मिलेगा।
Jaaton Ki Gaurav Gatha, History of Jats of Rajasthan, The glory of Jats, Pride Saga of Jaats
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