मारवाड़ का इतिहास
मारवाड़ अपनी प्राचीन समृद्ध परम्परा, अद्भूत शौर्य एवं अनूठे कलात्मक अवदानों के कारण विश्व के परिदृश्य में दैदीप्यमान है। Marwar Ka Itihas
राजस्थान की मध्यकालीन रियासतों में मारवाड़ का विशेष महत्व रहा हैं। पुस्तक में मारवाड़ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, जोधपुर के राठौड़ नरेशों के वंशजों का विद्या प्रेम, दानशीलता, धर्म, कला-कौशल प्रेम का विवरण दिया गया है।
राव सीहा, राव चूण्डा, राव जोधा, राव मालदेव, राव चन्द्रसेन, मोटा राजा उदयसिंह, सवाई राजा सूरसिंह, महाराजा जसवंत सिंह, अजीत सिंह, अभय सिंह, विजय सिंह तथा भीमसिंह व राजा मानसिंह कालीन इतिहास के महत्वपूर्ण बिन्दुओं का वर्णन किया हैं। इन शासकों के राजनीतिक इतिहास के साथ-साथ तत्कालीन प्रशासनिक व्यवस्था, जागीरदारी व्यवस्था, राजस्व व्यवस्था व व्यापार वाणिज्य की विस्तृत विवेचना को प्रस्तुत करने के साथ ही मारवाड़ की पारम्परिक जल संरक्षण तकनीक व ओरण परम्परा का विश्लेषण किया गया हैं।
व्यापक परिपेक्ष्य में राजस्थान के वन्य जीव अभ्यारण्य के संरक्षण व संर्वधन की भी विवेचना की गई है। Marwar Ka Itihas
(राष्ट्रीय शिक्षा नीति अनुसार, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर बी.ए. (ऑनर्स) एवं एम.ए. सेमेस्टर – I हेतु नवीन पाठ्यक्रमानुसार)
BA & MA History – According to the new syllabus
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