मान पद्य-संग्रह (सम्पूर्ण तीन खण्डों में) : जोधपुर महाराजा मानसिंह जी द्वारा रचित व्यावहारिक आत्मज्ञान के पद्यों का संग्रह | Jodhpur Maharaja Maansingh Ji Dwara Rachit Vyavaharik Aatmagyan Ke Padhyon Ka Sangraha
जोधपुर के भूतपूर्व महाराजा मानसिंह जी बड़े ही विद्वान, गुणी, कवि और राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ पूर्ण आत्म ज्ञानी थे। इनका शासन काल वि.सं. 1860 से 1900 तक रहा। इनके रचे हुए कई ग्रन्थ पाये गये हैं, जिनमें नाथ सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखने वाले ग्रंथ अधिक हैं। ‘मान पद्य-संग्रह’ ग्रन्थ भी इनका बनाया हुआ माना जाता है। इनके बनाये हुए भजनों का राजपूताने में बहुत प्रचार है। भक्ति और वैराग्य के ये भजन बहुत लोकप्रिय है तथा जन-जन के कंठाहार है। इस ग्रंथ को सर्वप्रथम प्रकाश में लाने का श्रेय बीकानेर के परम साहित्यानुरागी दानवीर सेठ रामगोपाल मोहता को है। इसमें संगृहीत पद्य जोधपुर निवासी कबीर पंथी सूरदास साधु मोहनराम को कंठस्थ थे। सेठजी की भेंट मोहनराम से कोलायत तीर्थ में हुई थी और उनसे सुनकर ये प्रकाशित किये गये। महाराजा मानसिंह रचित व्यावहारिक वेदान्त के भावपूर्ण सरस और हृदयग्राही भजनों का प्रभाव लोक मानस पर अत्यधिक रहा है और आज भी लोगों में इसकी बड़ी मांग है। रामगोपाल मोहता द्वारा पहले ये पद्य तीन भागों में प्रकशित किये गये थे। अब उन सम्पूर्ण तीन भागों को पाठकों की सुविधार्थ एक ही खण्ड में प्रस्तुत किया जा रहा है।
Maan Padhya-Sangraha
मान पद्य-संग्रह (सम्पूर्ण तीन खण्डों में)
Author : Ramgopal Mehta
Language : Hindi
ISBN : 9789384168872
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP
₹600.00
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