Rajasthan Ki Rajniti : Samantwad Se Jatiwad Ke Bhanwar Mein

राजस्थान की राजनीति : सामंतवाद से जातिवाद के भँवर में
Author : Vijay Bhandari
Language : Hindi
Edition : 2023
ISBN : 9788181436627

799.00

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राजस्थान की राजनीति : सामंतवाद से जातिवाद के भँवर में

राजस्थान में हिन्दी पत्रकारिता को आधुनिक विधा-आधारित रूप और नयी दिशा देने में जिन समर्पित और ध्येयनिष्ठ पत्रकारों ने अहं भूमिका निभाई है, उनमें विजय भंडारी का नाम अत्यंत आदर के साथ लिया जाता है। पत्रकारिता में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए राजस्थान में प्रेस की प्रतिनिधि संस्था पिंकसिटी प्रसे क्लब ने सन् 2002 में उन्हें ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ प्रदान कर सम्मानित किया था। मेवाड़ के ख्यात भंडारी परिवार में 14 जून, 1931 को कपासन कस्बे में जन्मे और ग्राम्य जीवन तथा सामंती परिवेश में पले-पोसे भंडारी की गणना आज राजस्थान के शीर्ष पत्रकारों में हैं। Rajasthan Ki Rajniti : Samantwad Se Jatiwad Ke Bhanwar Mein

अपने अग्रज श्री भगवत भंडारी की प्रेरणा से मात्र चौदह वर्ष की अल्पायु में आप देश / प्रदेश में चल रहे स्वतंत्रता आन्दोलन की गतिविधियों से जुड़े और स्वतंत्रता के बाद राज्य के छात्र आन्दोलनों का नेतृत्व किया। इसी दौर में गांव और गरीब के दर्द से रूबरू हुए जिसे वाणी देने के लिए पत्रकारिता को माध्यम के रूप में अपनाया। प्रारंभिक वर्षों में राजस्थान के साहित्य पुरोधा स्वर्गीय जनार्दन राय नागर द्वारा संस्थापित ‘राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर’ के प्रकल्प ‘जनपद’ और साप्ताहिक ‘कोलाहल’ के माध्यम से अपने नगर, प्रदेश, देश और विदेश के महत्वपूर्ण दैनिक समाचारों का संकलन और प्रचार-प्रसार से इस अनुष्ठान का श्रीगणेश किया। जनवरी 1959 में वे जयपुर आ गये और तत्कालीन प्रमुख हिन्दी दैनिक ‘नवयुग’ के सम्पादकीय विभाग में लगभग दो वर्षों तक कार्य किया।

बाद में “राजस्थान पत्रिका” से जुड़े जिसका प्रकाशन मार्च, 1956 में अत्यंत सीमित साधनों से छोटी साइज के राज्य के प्रथम सायंकालीन दैनिक के रूप में हुआ था। ‘पत्रिका’ को राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख सम्पूर्ण दैनिक के रूप में प्रतिष्ठापित करने की चार दशकों की कठोर यात्रा में भंडारी स्वर्गीय श्री कर्पूरचन्द कुलिश के दायें हाथ रहे हैं। ‘पत्रिका’ के रिपोर्टर के रूप में मोहनलाल सुखाड़िया के शासनकाल में नाथद्वारा मन्दिर जांच आयोग तथा बेरी जांच आयोग जैसे एतिहासिक मामलों के साथ ही लगभग डेढ़ दशक तक राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही का कवरेज किया। इसी के साथ लगभग ढाई दशक तक उसके प्रबंध सम्पादक के पद पर रहकर ‘पत्रिका’ का राज्य के चार और नगरों से प्रकाशन प्रारंभ कर उसे प्रांतव्यापी विस्तार दिया।

Rajasthan Ki Rajniti : Samantwad Se Jatiwad Ke Bhanwar Mein

20 मार्च 1986 को पत्रिका के संस्थापक-सम्पादक स्वर्गीय श्री कर्पूरचन्द्र कुलिश ने अपने षष्ठिपूर्ति के कारण अवकाश ग्रहण करने पर सम्पादक का गुरुत्तर दायित्व भंडारी को सौंपा, जिसका जुलाई 1990 तक इन्होंने सफलतापूर्वक निर्वहन किया। अपने दीर्थ पत्रकार जीवन में भंडारी ने न कभी पत्रकारिता के आदर्शों की अवहेलना की, न कभी समाचार प्रकाशन को लेकर कोई समझौता किया, न कभी निजी हित साधे और न कभी अपनी मर्यादाओं का उल्लघंन किया। उनकी प्रतिबद्धता सदैव पाठक के साथ रही। एक सजग पत्रकार भंडारी ने जहां राज्य के दक्षिणांचल में बसे लाखों भील आदिवासियों के दैन्य जीवन की सजीव झांकी से पाठकों के हृदयों को स्पंदित किया वही करोड़ो मरूवासियों की जीवनरेखा इंदिरा गांधी नगर परियोजना की परिणति से मरूभूमि में आई हरित क्रांति और जन-जीवन के बदलाव से पत्रिका के लाखों पाठकों को अवगत कराया। पूर्व प्रधानमंत्रियों श्री राजीव गांधी के साथ ओमान (खाड़ी देश), श्री विश्वनाथप्रतापसिंह के साथ नामीबिया (अफ्रीका), तथा श्री पी. वी. नरसिंहराव की प्रेस पार्टी में जापान की राजकीय यात्राओं का अवसर प्राप्त हुआ।

इनके अलावा आपने सोवियत रूस, बल्गारिया, नेपाल तथा मारीशस की यात्रायें से वहां की सामाजिक व राजनीतिक व्यवस्थाओं तथा स्थितियों से पाठकों को परिचीत कराया। राष्ट्रपति ज्ञानी जेलसिंह तथा कांग्रेस से विलग हुए श्री वी. पी. सिंह जैसे विशिष्ट व्यक्तियों के साक्षात्कार से तात्कालिक प्रश्नों पर उनके विचार पाठकों के सामने रखे। वर्ष 1996 में ‘पत्रिका’ के चार दशक पूर्ण होने पर भंडारी ने ‘बढ़ते कदम’ पर पुस्तक लिखकर उसके संघर्षों, पहचान, पत्रकारिता के सिद्धांतों की रक्षा और पाठकों के समर्थन की स्मृतियों को रेखांकित किया है। ‘राजस्थान ‘पत्रिका’ के सम्पादक पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद भी वर्षों तक इसके निदेशक मंडल के सदस्य रहे। आयु के इस पड़ाव में भी भंडारी की चिन्तनधारा सक्रिय है और पत्रकारिता तथा प्रदेश के विभिन्न प्रश्नों पर अपना योगदान करते रहते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में भंडारी ने राजस्थान के निर्माण से लेकर वर्तमान तक घटी राजनीतिक घटनाओं द्वारा ‘सामंतवाद से जातिवाद’ पर पहुँची स्थिति का सिंहावलोकन आप पाठकों को समर्पित किया है।

Rajasthan Ki Rajneeti: Samantvad Se Jativad Ke Bhanvar Mein Politics of Rajasthan (From Feudalism to Casteism)

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