Nari Vyatha Ki Vichitra Katha

नारी व्यथा की विचित्र कथा
Author : Om Prakash Vishnoi
Language : Hindi
Edition : 2024
ISBN : 9788197693588
Publisher : Rajasthani Granthagar

100.00

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नारी व्यथा की विचित्र कथा

Nari Vyatha Vichitra Katha

“ना रहे हम दुनिया के,
ना नजर दुनिया ने हम पर डाली,
ना हमारे कहने से बजाता है कोई ताली,
फिर भी मेरी तमन्ना है अजब निराली
न जाने कब कयामत आयेगी,
क्या मेरे चाहने से दुनिया बदल जायेगी,
न बदले जमाना तो भी क्या गम है,
सुरक्षित शिक्षित नारी नहीं किसी से कम है,
जब से नारी ने लिया जन्म है,
तब से सहने पड़े सितम है,
यह पुस्तक नारी की हिम्मत है,
अब बढ़ने वाली नारी महत्ता की कीमत है।”

चिन्तन मनन के सागर में विचारों के ज्वार उमड़ते है, किनारे पर अपनी सीमा पाकर कहीं जमते कहीं उफनते हैं। शब्दों के सार को यदि समाज ने स्वीकार कर लिया होता तो शायद समाज का स्वरूप अनुपम तथा निराला होता। साहित्य के समर में अनेक शिरोमणि साहित्यकार आये तथा अपनी लेखनी के ओजमय प्रभाव से आज भी ध्रुव तारे की भाँति अटल, अजेय कालजयी तथा कांतिमय शिखर पर विराजमान हैं। ऐसे साहित्यकारों के सतत् तेजोमय सूर्य सदृश्य साहित्य रूपी प्रकाश के सामने मैं आज जुगनू के समान लेखन पर इतराने का स्वांग कर रहा हूँ। आज ‘नारी – व्यथा की विचित्र कथा’ कहने पर अभिमान कर रहा हूँ क्योकि मेरी लेखनी का विषय प्रभावी है। नारी स्वरूप मां सरस्वती के चरणों में वंदन करते हुए सभी पाठकों का अभिनंदन करता हूँ। Nari Vyatha Vichitra Katha

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