Vyomwad

व्योमवाद (टिप्पणनुवादसाहित)
पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रन्थमाला – 4
Author : Madhusudan Ojha, Ganeshilal Suthar
Language : Sanskrit, Hindi
ISBN : N/A
Edition : 1993
Publisher : Other

100.00

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व्योमवाद (टिप्पणनुवादसाहित)
पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रन्थमाला – 4
इस ग्रन्थ में यह प्रतिपादित किया गया है कि पञ्चभूतों में सूक्ष्मतम आकाश ही सृष्टि का मूल है। इस ग्रन्थ में तीन कल्प हैं—1. अमृत कल्प 2. अपां कल्प 3. ज्योतिः कल्प। इनमें अमृतकल्प में अद्वैतवाद, कार्यविभाग अणुविभाग तथा व्योमव्युत्पत्ति नामक चार प्रमुख विभाग हैं। द्वितीय ‘अपां कल्प’ अभ्व, लोक, भूत और गति भेद से चार भागों में विभक्त है। इसी प्रकार ज्योतिः कल्प के भी दो विभाग हैं जिनका सविस्तार वर्णन इस ग्रन्थ में उपलब्ध होता है।

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