भारतीय धर्मशास्त्र को विश्वम्भर स्मृति का योगदान : श्रुति और स्मृति हिन्दू धर्म के प्रमुख आधार ग्रन्थ है। श्रुति वेद धर्म का उत्स है और
स्मृतियाँ धर्मशास्त्र है। स्मृतियाँ भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता की प्राण स्वरूप है। स्मृतियाँ मानव जीवन के लिए प्रदर्शक, परम उपयोगी एवं अमूल्य ग्रन्थ रत्न हैं जिनमें व्यक्ति, परिवार, समाज एवं राष्ट्र की सुव्यवस्था के सूत्र यत्र-तत्र उपलब्ध होते हैं।
पं. विश्वश्वरनाथ रेउ ने पूर्व स्मृतियों के आधार पर नये युग के परिप्रेक्ष्य में वर्ण, आश्रम, संस्कार, सूतक राजधर्म, व्यवहार का विवेचन किया है साथ ही व्यवस्थापिका और स्त्री सम्पति की जो विवेचना की है, उसे आर्यविधान कहा गया है। उससे हिन्दू परिवार और उसके विघटन होने वाली सम्पति संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए उच्च न्यायालयों (बम्बई, कलकत्ता) के न्यायाधीशों को आर्य विधान से पर्याप्त सहायता मिली है।
जब धर्म शास्त्र की प्राचीन सीमाएँ बिखर रही थी, शब्दों की नयी व्याख्या करने की जरूरत थी हिन्दुस्तान की धर्मप्राण जनता के लिए बदली हुई इन धारणाओं को एक ठोस धर्म शास्त्रीय आधार दिया जाना बेहद जरूरी हो गया था। समाज की इन अपेक्षाओं की पूर्ति पं. रेउ ने ‘विश्वेश्वर स्मृति’ के माध्यम से की जिसे अभी तक उपलब्ध स्मृति साहित्य में अन्तिम स्मृति ग्रन्थ माना जाता है। लेखक ने विश्वेश्वरस्मृति के समुचित विवेचना करते हुए प्रस्तुत पुस्तक में भारतीय धर्मशास्त्र में उसके योगदान पर प्रकाशन डालने का सफल प्रयास किया है।
Bhartiya Dharm Shastra Ko Vishweshwar Smriti Ka Yogdan
भारतीय धर्मशास्त्र को विश्वम्भर स्मृति का योगदान
Author : Vikas Vyas
Language : Hindi
Edition : 2015
ISBN : 9788188756011
Publisher : RG GROUP
₹350.00
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