Shanti Darshan : Mahan Yogiraj Shri Shanti Vijay Ji

शांति दर्शन : महान् योगीराज श्री शान्ति विजय जी
Author : Kantilal Jain
Language : Hindi
ISBN : N/A
Edition : 2015
Publisher : RG GROUP

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शांति दर्शन : महान् योगीराज श्री शान्ति विजय जी : भारत भूमि जैसे प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण हैं, वैसे ही यह पवित्र भूमि महान् ऋषियों द्वारा की गई आत्म साधना, त्याग और तपस्या के तेज से देदीप्यमान हैं। मानव से महामानव तक के शिखर तक पहुँचने वाली आत्माएं, स्तर की अपेक्षा विशिष्ठ संस्कारों की धनी होती है। प्रत्येक युग में कोई ऐसी आत्मा का जन्म होता है, जो अपनी आभा और महानता से समग्र विश्व को आलोकित कर देता है।
परमपूज्य गुरुदेव भगवान अनन्त आकाश के क्षितिज पर उदय होने वाले सहस्त्र किरण दिवाकर ही थे। भगवान महावीर के विश्व बंधुत्व जन कल्याण, प्राणी मात्र की सेवा, शांति, समन्वय और सद्भावनाओं के महान् प्रचारक और अलौकिक योग शक्तियों के स्वामी विजयश्री शांतिसूरीश्वरजी 20वीं शताब्दी के श्रेष्ठ महात्मा हुए हैं। आपकी जनकल्याणकारी बोधवाणी राज महलों से लेकर साधारण झोपड़ियों तक में अनुगुंजित रही। वे जहाँ उनके श्री चरणों में श्रद्धा और प्रेम से विशाल जन समूह उमड़ पड़ता था। उसमें जात-पांत, संप्रदाय-पंथ, अमीर-गरीब का कोई भेद नहीं होता था। उनकी प्रवचन सभा इन्द्रधनुष की तरह बहुरंगी होते हुए भी एकरूपता एवं समानता लिए होती थी। आपकी ओजस्वी एवं प्रेरक मृदुवाणी का श्रोताओं पर गहरा प्रभाव पड़ता था।
परमपूज्य गुरुदेव भगवान के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का आधार जैन दर्शन था। गरुदेव ने आजीवन सत्य और अहिंसा की दिशा में कार्य किया। आपने जहाँ एक ओर पीड़ित मानवता की सेवा की वहीं धर्म के नाम वाली पशु बलि का विरोध कर अनेक स्थानों पर पुरातनकाल से आ रही बलिप्रथा बन्द करवाई और अहिंसा को प्रतिपादित किया। आपकी प्रेरणा से शराब, मांस तथा अन्य दुव्र्यसनों से अनेक लोगों ने मुक्ति पाई।

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