रघुनाथरूपक गीतारो (मंसाराम सेवग कृत) : ‘रघुनाथरूपक गीतांरो’ नामक ग्रन्थ के अन्तर्गत डींगल काव्य के गीतों (छन्दों) के कठिन सूत्रों को सरल व सरस करने के साथ उनमें श्री रामचन्द्रजी के वृतान्तों को विभूषित कर काव्य को माखन-मिसरी करने वाले महान् कवि का नाम मंसाराम सेवग था। कई पुस्तकों में जगह-जगह उनके नाम को मंछाराम सेवक भी लिखा गया है।
मंसाराम ने अक्षरों एवं गणों की शक्ति एवं प्रभाव का वर्णन भी अति सार गर्भित तरीके से अन्य प्राचीन भाषा-वैज्ञानिकों एवं भाषा-शास्त्रियों की भाँति किया है, जिसमें कवि मंछ ने अक्षरों की ध्वनि के साथ आठों गणों से निर्मित चारों गण-युग्लों (मित्र, शत्रु, दास एवं उदास) से निर्मित छन्दों की ध्वनि से प्राणी कैसे प्रभावित होता है, उसका वर्णन भी किया है।
इस गण शक्ति के अति-प्राचीन ज्ञान को मंसाराम ने स्वयं की काव्य क्षमता से काव्यबद्ध कर सूत्र के रूप में कवियों हेतु इस पुस्तक में प्रकाशित किया है। मंसाराम सेवग के द्वारा रचित ‘रघुनाथरूपक गीतांरो’ में उल्लेखित गणों के अलावा कवि ने अलग-अलग प्रकार के कई छन्दों (गीतों) के लक्षण व सूत्र प्रस्तुत किये हैं। मंसाराम ने इन स्वरचित गीतों के उदाहरणों में श्री राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, हनुमान, शिव, पार्वती, सरस्वती आदि के भक्ति काव्य के अलावा राम-रावण युद्ध का वर्णन कर भक्ति के साथ नव-कवियों हेतु काव्य सृजन की विधियाँ व सूत्र प्रस्तुत कर राजस्थानी-साहित्य की बहुत बड़ी सेवा की है।
Raghunath Rupak Gitaro (Mansaram Sevag Krit)
रघुनाथरूपक गीतारो (मंसाराम सेवग कृत)
Author : Chandradan Charan
Language : Hindi
ISBN : 9789387297746
Edition : 2019
Publisher : RG GROUP
₹300.00
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