पितृ समीक्षा (अनुवाद)
पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रन्थमाला – 2
ऋग्वेद के अनुसार लोक भेद से तीन प्रकार के पितर होते हैं-पर, मध्यम और अवर। इन्हें दिव्यपितृ, ऋतुपितृ तथा प्रेतपितृ भी कहा जाता है। इनकी मूल प्रकृति में भेद के कारण ये आग्नेय, याम्य और सौम्य कहे जाते हैं क्योंकि अग्नि यम और सोम ये तीन पितरों के सहयोगी देवता हैं इनमें आग्नेय प्राण देव तथा सौम्य प्राण पितर कहलाते हैं इन दोनों के मेल से स्थावर जङ्गम समस्त पिण्डों की रचना होती है। इनका विस्तृत प्रतिपादन करने वाला यह ग्रन्थ सङ्ग्रहणीय है।
Pitra Samiksha
पितृ समीक्षा (अनुवाद)
पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रन्थमाला – 2
Author : Madhusudan Ojha, Dayananda Bhargava
Language : Sanskrit, Hindi
ISBN : N/A
Edition : 1991
Publisher : Other
₹100.00
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