पुराणनिर्माणाधिकरणम् (हिन्दीभाषानुवादसहित)
पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रन्थमाला 16
पुराण सृष्टि का घटक तत्त्व भी है तथा इस विषय का बोधकशास्त्र भी है, दोनों की ही समीक्षा अभीष्ट है, फलस्वरूप इस वाक्य के दो अभिप्राय हैं :—(1) सृष्टि-घटक तत्त्व की सर्वतोभावेन विश्वग्रथनपरक दर्शन प्रक्रिया, जिसे विश्वविकास नाम से व्यवहृत किया जा सकता है। (2) उस पुराण के उद्भव प्रसङ्ग मात्र को देखना तथा उसका कथन करना।
इन दोनों अभिप्राय में पुराण ब्रह्माण्ड के शास्ता का पुराणशास्त्र से पहचानने का यत्न ‘पुराणशास्त्राभिज्ञान’ है। पं. ओझाजी का मन्तव्य है कि सर्वप्रथम एक ब्रह्माण्डपुराण नाम का ऋगादि की भाँति विशेष वेद था कालान्तर में यह ब्रह्माण्डपुराण ही 18 प्रतिपाद्य विषयों के आधार पर 18 महापुराणों के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
Puran Niramanadhikaranam
पुराणनिर्माणाधिकरणम् (हिन्दीभाषानुवादसहित)
पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रन्थमाला 16
Author : Madhusudan Ojha, Pro. Prabhavati Chaudhari
Language : Sanskrit, Hindi
ISBN : 9789382311317
Edition : 2013
Publisher : Other
₹370.00
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