राजस्थान के ऐतिहासिक गौरव-ग्रन्थ : राजस्थान की धरती वीरप्रसविनी रही है। यहाँ के कण-कण में वीरपुरुषों की साँस महकती है और हर कोण पर वीरों का एक व्यक्तित्व उभरता रहा है। फलतः वीरकाव्यों का सृजन होता रहा है। ऐसे ही वीरकाव्य गौरव-ग्रंथ के नियामक
और प्रेरक रहे हैं। गौरव-गाथाओं के नायक राजस्थान से सम्बद्ध रहे हैं। इनके आधार पर ही हिन्दी में वीरकाव्यों की परम्परायें चली है। ऐसी ही परम्पराओं पर ऐतिहासिक और समग्र विवेचन-विश्लेषण प्रस्तुत कृति में किया गया है।
गौरव-ग्रंथों का ऐतिहासिक सन्दर्भ, विवचेन, मूल्यांकन और उनकी महत्ता-उपादेयता का आकलन करते हुए दूसरे खंड में समसामयिक गौरव-ग्रंथों का पर्यालोचन किया गया है। इन ग्रन्थों के नायकों का व्यक्तित्वांकन इस तथ्य को रेखांकित करता है कि ये व्यक्ति-रूप में आज भले ही महत्त्व न पा सकें, पर समसामयिक सन्दभों में उनका ऐतिहासिक और त्यागशील व्यक्तित्व अविस्मरणीय है।
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