Sau Baata ri Baat

सौ बातां री बात
Author : Mohan Purohit ‘Tyagi’
Language : Hindi, Marwari/Rajasthani
ISBN : 9789384406813
Edition : 2020
Publisher : RG GROUP

Original price was: ₹100.00.Current price is: ₹99.00.

सौ बातां री बात :
इण पोथी मांय सूं

जो थूं चावै जगत में, सुख सम्पत अर चैन।
तो ओच्छी काटे बात नै, मत राखै कोई दैण।।
मत राखै कोई दैण, बेर सूं लीजै पासौ।
जिखर अणूती करा देवै, थोड़ै में रासौ।।
अड़यां सूं टल्या भला, भले मिनख की बात।
मीठो बोल’र निकळणो, सौ बातों री बात।।1।।

बैम भयंकर भूत है, लाग्यौ छूटे नाय।
झाड़ीगर रो रो मरै, नी लागै कोई उपाय।।
नी लागै कोई उपाय, बैम मांय मरयो जावै।
शक माय जीवण बण्यौ मसाण,
काया नै तिल-तिल खावै।।
सचाई नी जाण कै, कर लें अपणी घात।
नी बातां में किणी रै आवणौ, सौ बातों री बात।।2।।

व्यांव, धर्म सैंस्कार है, ज्यांरों विश्वास ही आधार।
पण मूरख अहंकारी, ला नाखै, इणनै बीच बाजार।।
इणनै बीच बाजार, काॅर्ट-कचेड़या भागै।
तन-मन-धन री कर हाण, फैर भी कदै न जागै।।
मरयां न आवै अकल, बिगाड़ देवै हालात।
तज अंहकार आपस मांय सलतो, सौ बातों री बात।।3।।

भाई जिसा कोई सैण नहीं, एक दूजै पे छिड़कै जान।
भाई जिसा कोई वैरी नहीं, घर कर दै एक मसाण।।
घर कर दै एक मसाण, औरों नै जा भेद बतावै।
ओथी पोथी बाच, मां जाये घर आग लगावै।।
भाई नै घर री शान समझ, जो माने एक दूजै री बात।
उण घर ही सुख सम्पत बसैं, सौ बातों री बात।।4।।

दुआ
थोथो चणो बाजै घणौ, गधों नै भावै सीरो।
बकरी मूंडे किकर मावै, आखो एक मतीरो।।1।।
गीत गावै मां-बापरा, माटी री चगुल्यां खाय।
उवौ अकल बायरी बावळी, खुद अपणै घर आग लगाय।।2।।
जो भगती करै, लटियाळरी, मिटै भव बाधारी पीड़।
ज्यूं गंगां घट न्हाय कै, निरमळ होत शरीर।।3।।

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