जोधपुर किला री कमठा बही : निर्माण और जीर्णोद्वार का कार्य निरन्तर होता रहता है। मेहरानगढ़ की स्थापना के साथ ही समय-समय पर पूर्ववर्ती शासकों के द्वारा मेहरानगढ़ में अनेक निर्माण कार्य करवाए गये तथा उनके द्वारा अनेक पुराने निर्मित महलों एवं दुर्ग के विभिन्न भागों को तुड़वाकर उनके स्थान पर नये निर्माण कराने की परम्परा सतत् मिलती रही है। आज मेहरानमढ़ विश्व का प्रसिद्ध दुर्ग संग्रहालय है। पर्यटकों की पहली पसन्द मेहरानगढ़ संग्रहालय को विश्व संरक्षण धरोहरों की सूची में अहम स्थान प्राप्त है। यूनेस्को ने इसे विशिष्ट सम्मान से नवाजा है तो प्रसिद्ध गढ़ों में इसे एशिया महाद्वीप का सबसे सर्वश्रेष्ठ गढ़ होने का गौरव भी प्राप्त है।
पिछले 550 वर्षों के गौरवमयी इतिहास का साक्षी रहा यह दुर्ग उन सभी महान निर्माताओं, निर्माण करने वाले कारीगरों, मजदूरों और निर्माण में प्रयुक्त सामग्रियों की तकनीकी के कारण आज भी स्थायी है। वैसे तो हजारों-हजार हाथों ने इसे संवारा है लेकिन उन सबका उल्लेख क्रमबद्ध मिलना अब असम्भव प्रतीत होता है। लेकिन कहते है कि इतिहास हमेशा भूत को दोहराता है। मेहरानगढ़ के आंचल में स्थापित कला, साहित्य और शौर्य पुरोधा महाराजा मानसिंहजी का ‘पुस्तक-प्रकाश’ ग्रंथालय आज भी उनके गौरवमयी परम्पराओं और इतिहास की सतत् साक्षी दस्तावेजों को संग्रहीत किये हुए है। इसी ग्रंथालय से प्राप्त एक बही जो तत्कालीन महाराजा जसवन्तसिंहजी द्वितीय के राज्यकाल के अंतिम वर्षों में हुए मेहरानगढ़ में विशाल परिवर्तन जीर्णोद्धार, नवीन निर्माणों और पुरानों को तोड़कर नये निर्माणों के सम्पूर्ण विवरणों का क्रमबद्ध लेखा-जोखा रखती ये बही सचमुच इस दुर्ग के सतत् जीर्णोद्धार की परम्परा का जीता-जागता दस्तावेज है।
Jodhpur Kila Ri Kamtha Bahi
जोधपुर किला री कमठा बही
Author : Mahendra Singh Tanwar
Language : Hindi
ISBN : 9788193423899
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP
₹900.00
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