जयपुर रियासत का आर्थिक इतिहास
प्रस्तुत पुस्तक में जयपुर रियासत के राजनीतिक इतिहास के साथ-साथ आर्थिक इतिहास सम्बन्धी विविध पहलुओं, accordingly यथा – खालसा एवं जागीर भूमि का आर्थिक प्रबन्धन, कृषि उत्पादन, कृषि उत्पादों के व्यापार, विविध भू-राजस्व पद्धतियों, अधिकारियों का विवरण, व्यापारिक गतिविधियों, मुद्रा एवं ऋण व्यवस्था, सड़कों एवं रेलमार्गों के विकास, कृषकों एवं व्यापारियों से लिए जाने वाले विविध करों एवं लाग-बागों, जागीरदारों के साथ जयपुर दरबार के सम्बन्धों, जागीरदारों की श्रेणियों, विशेषाधिकारों, ‘राज्य’ के प्रति उनके उत्तरदायित्वों, ‘राज्य’ को दिए जाने वाले करों एवं अन्य सेवाओं, ग्राम पंचायतों इत्यादि के विषय में राष्ट्रीय अभिलेखागार (नई दिल्ली); राजस्थान राज्य अभिलेखागार (बीकानेर) एवं इसकी जयपुर शाखा (सचिवालय); केन्द्रीय पुस्तकालय (राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर) में संकलित प्राथमिक स्रोतों एवं इस विषय से सम्बन्धित इतिहासकारों द्वारा रचित पुस्तकों का अध्ययन कर प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। Jaipur Riyasat Ka Aarthik Itihas
Jaipur Riyasat Ka Aarthik Itihas
also इस पुस्तक में 1858-1949 ई. की समयावधि में जयपुर रियासत की अर्थव्यवस्था पर ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियों के प्रभावों को भी रेखांकित किया गया है, जिसका सर्वाधिक नकारात्मक प्रभाव रियासत के कृषकों पर पड़ा तथा उनका अत्यधिक शोषण किया जाने लगा। परिणाम स्वरूप कृषि एवं कुटीर उद्योगों के उत्पादन में गिरावट आने लगी तथा आर्थिक गतिविधियां भी प्रभावित हुई। कृषकों के निरन्तर शोषण से उत्पन्न आक्रोश 20वीं शताब्दी में कृषक आन्दोलनों के रूप में प्रकट हुए। लम्बे संघर्ष के पश्चात् भारत देश के स्वतंत्र होने के बाद ही किसानों को भूमि पर उनके वैधानिक अधिकार प्राप्त हो सके। इन सभी तथ्यों का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत पुस्तक में करने का प्रयास किया गया है।
surely जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण परम्परा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए विश्व विख्यात रहा है। आशा है कि यह पुस्तक इस विषय में रुचि रखने वाले अध्यवसायियों एवं शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
Economic history of the princely state of Jaipur
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