रस, अलंकार, छन्द तथा अन्य काव्यांग : रस, अलंकार और छंद इत्यादि उपादान काव्य के ऐसे अभिन्न अंग हैं, जिनकी जानकारी किये बिना शब्दार्थ स्वरूपी काव्य का सम्यक् बोध किया ही नहीं जा सकता। ‘रस’ यदि काव्य की आत्मा है तो ‘अलंकार’ उसे शोभावर्धक गुण अथवा धर्म कहे जा सकते हैं, जो ‘छंद’ रूपी कवच धारण कर काव्य-पुरुष की सुरक्षा करते हैं। इन सबका अस्तित्व शब्दशक्तियों पर निर्भर है क्योंकि वे शब्दशक्तियाँ ही काव्य को रसनिष्पति तक पहुँचाने की क्षमता रखती हैं। माध्यमिक शिक्षा बोर्डों से लेकर विश्वविद्यालयीय स्तर के हिन्दी साहित्य के पाठ्यक्रम के अंतर्गत इन विषयों का परिज्ञान प्राप्त करना अनिवार्य एवं आवश्यक माना गया है। अतः उसकी उपलब्धि कराने के प्रयोजन से ही इसके विद्वान लेखक ने विषयानुरूप व्यावहारिक एवं सुबोध भाषा शैली में इस पुस्तक की रचना की है। इसके अध्ययन और अध्यापन द्वारा विद्यार्थी तथा शिक्षक समुदाय विषय बोध के साथ-साथ समुचित मार्गदर्शन भी प्राप्त कर सकते हैं। हमने इस पुस्तक का प्रथम संस्करण कुछ वर्षों पूर्व प्रकाशित किया था, जिसके प्रारम्भिक ‘निवेदन’ में लेखक ने इस ग्रंथ की आवश्यकता तथा उपयोगिता का महत्व प्रतिपादित कर दिया था। हमें इस बात की हार्दिक प्रसन्नता है कि हमारे समस्त पाठकवर्ग ने हमारे उस सत्प्रयास का सभी दृष्टियों से भव्य स्वागत किया, जिसके फलस्वरूप इस पुस्तक का यह पंचम संशोधित संस्करण प्रकाशित किया जा रहा है। इस नूतन संस्करण में पूर्ववर्ती संस्करण की विषयसामग्री का पुनरावलोकन एवं संशोधन कर उसे ऐसे स्वरूप के साँचे में ढाल दिया गया है, जिसके अध्ययन द्वारा काव्यांगों के लक्षणों और उदाहरणों के बीच और भी अधिक सुगम तालमेल स्थापित हो सके। यह संशोधित संस्करण एक ही स्थान पर उन सभी बिन्दुओं को सहेजकर सजाये गये उस गुलदस्ते के तुल्य है, जिसके कलेवर में रसालंकार और छंदादिविषयक सामग्री का तत्वबोधक समायोजन एवं विवेचन ऐसे रूप में सुलभ और विद्यमान है, जिसके अध्ययन के लिए अन्यत्र जानकारी के प्रयास करने अथवा भटकने की आवश्यकता नहीं है।
Ras, Alankar, Chhand Tatha Anya Kavyang
रस, अलंकार, छन्द तथा अन्य काव्यांग
Author : Venkat Sharma
Language : Hindi
Edition : 2020
ISBN : 9789385593123
Publisher : Rajasthani Granthagar
₹239.00
Reviews
There are no reviews yet.