संस्कृत लोकोक्ति कोश : प्रत्येक देश की संस्कृति परम्परा से पुष्ट होते विचारों, संस्कारों, व्यवहारों और लोकाचारों का सम्मिलित पुष्ट रूप होती है। लोक में समाहित है सारी प्रथाएँ, मान्यताएं अनुभव और साहित्य। समय क्रम में साहित्य भी द्विविध रूप से विस्तार पाता है – एक, दीर्घजीवी शिष्ट साहित्य और दूसरा, हर प्रान्त, हर प्रदेश में भिन्न रूप धारण करता लोकसाहित्य। इसी लोकसाहित्य के अन्तर्गत ही आती हैं लोकोक्तियाँ। संस्कृत भाषा में लोकोक्तियों का अखूँट भण्डार है। जड़ चेतन संसार का कोई भी पक्ष या क्षेत्र, मानव मन का अन्तरतम कोना तक भी लोकोक्तियों की पहुँच से दूर नहीं रह सका हैं। ये लोकोक्तियाँ नीतिकथन करती है; सूक्ष्म व्यंगपूर्वक उचित मार्गनिर्देश देती है और सुख दु:ख में मित्रवत् हृदय को सान्त्वना देती हैं। ‘कोश’ शब्द का अर्थ अत्यन्त व्यापक है। उस व्यापक अर्थ में सारी संस्कृत लोकोक्तियाँ दे पाना सम्भव ही नहीं था फिर भी विभिन्न विषयों, भावों, जीवनमूल्यों, व्यवहारों आदि से जुड़ी अनेकानेक संस्कृत लोकोक्तियाँ उनमें अन्तर्निहित अर्थ और भाव को स्पष्ट करते हुए सुधी पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत है। पढ़िए, गुनिए और समय-समय पर इनका सुष्ठु प्रयोग करके श्रोताओं पर इनका अभूतपूर्व प्रभाव देखने का आनन्द लीजिए।
Sanskrit Lokokti Kosh
संस्कृत लोकोक्ति कोश (हिन्दी व्याख्या सहित)
Auther : Preeti Prabha Goyal
Language : Sanskrit-Hindi
Edition : 2018
ISBN : 9788186103562
Publisher : Rajasthani Granthagar
₹319.00
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