Kavi Gang Rachanawali

कवि गंग रचनावली (Paperback)
Author : Bate Krishna
Language : Hindi
Edition : 2022
ISBN : 9789384406110, 9789394649071
Publisher : Rajasthani Granthagar

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Original price was: ₹250.00.Current price is: ₹219.00.

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कवि गंग रचनावली

भक्ति कालीन हिंदी कवियों में कवि गंग का स्थान अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण है। उनके कवित्तर शताब्दियों पश्चात् आज भी जन-कंठों में स्थायी आसन जमाये हुए हैं। यह प्रसिद्ध है कि अकबर कालीन इस कवि के एक कवित्त से प्रभावित होकर रहीम खानखाना ने उस काल में कवि को 36 लाख रुपये प्रदान किए थे। अकबर के दरबार में जिस प्रकार राजा बीरबल हास्य विनोद के प्रतीक माने जाते हैं, उसी प्रकार शृंगार के क्षेत्र में कोई अनोखी सूझ व्यक्त करनी हो, तो कवि गंग का आश्रय ले लिया जाता है। such as नीति के दोहों के बीच ‘कहे कबीर सुनो भई साधो’ का प्रचलन है, वैसे ही कवित्त और सवैयों के बीच ‘कहे कवि गंग’ अथवा ‘गंग कहै सुन शाह अकबर’ की प्रसिद्धि है। निर्भिक उक्तियों के लिए कवि गंग अद्वितीय माने जाते हैं। Kavi Gang Rachanawali

specifically प्रारंभ में कवि गंग के कवित्त लोगों में प्रचलित थे कि यदि उन्हें जनकवि कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। ‘कवि गंग रचनावली’ इस प्रसिद्ध कवि की समस्त ज्ञात रचनाओं को अपने कलेवर में संजोये हुए हैं। संपादक बटे कृष्ण ने यत्नपूर्वक प्रामाणिक गंग-रचनाओं को एकत्र कर सराहनीय कार्य किया है। so इसलिए हिंदी साहित्य के गंभीर अध्येताओं के साथ ही यह ग्रन्थ सामान्य कवि रसिकों के लिए भी रुचिकर तथा सहेज कर रखने योग्य सिद्ध होगा।

Kavi Gang Rachanawali

also गंग कवि, अकबर के दरबार में रहकर वे समस्याओं की पूर्ति किया करते थे। इनकी गंग छापधारी स्फुट रचनाएँ उपलब्ध हैं जिनमें प्रशस्तियाँ और हास्य व्यंग्य की चुभती उक्तियाँ हैं। गंग पदावली, गंगपचीसी और गंग रत्नावली नाम से इनकी रचनाएँ संगृहीत पायी जाती हैं। शृंगार, वीर आदि रसों की इनकी उक्तियाँ वाग्वैदग्ध्यपूर्ण एवं प्रभावकारी हैं। इनकी आलोचनात्मक एवं व्यंग्यपरक उक्तियाँ मार्मिक, निर्भीक और स्पष्ट हैं। Kavi Gang Rachnavali, Gang Padawali, Gang Dohe, Gang Savaiya

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