स्वप्नवासवदत्तम् – भास कृत : संस्कृत नाट्य की सुषमा और मनोहारिता से भारतीय संस्कृतानुरागी ही नहीं, अपितु पाश्चात्य विद्वान भी सुपरिचित रहे हैं। वस्तुतः महाकवि कालिदास रचित ‘अभिज्ञानशाकुन्तलम्’ के नाट्य सौष्ठव ने ही पाश्चात्य विद्वानों को संस्कृत साहित्य के अध्ययन हेतु प्रेरित एवं विवश किया था। कालिदास, बाण, वाक्पतिराज आदि महाकवियों के द्वारा प्रशंसित तथा उल्लिखित महाकवि भास की कृतियां उन्नीसवीं शती तक अनुपलब्ध हि रहीं। उनके तेरह नाट्यों के समूह में ‘स्वप्नवासवदत्तम्’ नाटक सबसे अधिक चर्चित रहा, जिसके लिए राजशेखर ने लिखा कि…..’अग्नि भी उस जला नहीं सकी।’
Swapnavasvadatam – Bhas Krit
स्वप्नवासवदत्तम् – भास कृत
Author : Priti Prabha Goyal
Language : Hindi, Sanskrit
ISBN : 9789384406615
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP
₹150.00
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