हिन्दी का प्रादेशिक लोक साहित्य : हिन्दी का प्रादेशिक लोक साहित्य शास्त्र-लोक साहित्य सम्बन्धी पुस्तकों में एक विशिष्ट प्रस्तुति है। यह इस अर्थ में विशिष्ट है कि इसके ‘क’ खण्ड में ब्रज, मालवी, हरियाणवी, खड़ी बोली तथा राजस्थानी लोक साहित्य की विविध विधाओं का स्तरीय अध्ययन किया गया है। इस पुस्तक का ‘ख’ खण्ड लोक साहित्य की विविध विधाओं का सैद्धान्तिक परिचय देता है। इन दोनों पक्षों को एकसाथ प्रस्तुत करने से इस पुस्तक की उपादेयता असंदिग्ध रूप से बढ़ जाती है। भारतीय विश्वविद्यालयों के स्नातकोत्तर छात्रों तथा शोधार्थियों के लिए एक साथ इतनी सामग्री प्राप्त होना बहुत दुष्कर है। डॉ. कल्ला ने अपने अनेक वर्षों के तद्विषयक अध्ययन-अध्यापन का निष्कर्ष इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है। इसीलिए इस पुस्तक का शीर्षक ‘हिन्दी का प्रादेशिक लोकसाहित्य शास्त्र’ रखा गया है। विभिन्न प्रदेशों के लोकसाहित्य की विधाओं का अध्ययन तथा लोकसाहित्य के शास्त्र पक्ष पर भारतीय विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों एवं अकादमियों में अध्ययनरत शोधार्थियों के लिए यह पुस्तक निश्चय ही पठनीय तथा संग्रह करने की अपेक्षा करती है। यह पुस्तक विद्वान लेखक की अनुसंधित्सु दृष्टि, सतर्क विवेचना तथा गहन विश्लेषणात्मक लेखन क्षमता का प्रमाण देती है।
Hindi Ka Pradeshik Lok Sahitya
हिन्दी का प्रादेशिक लोक साहित्य
Author : Nandlal Kalla
Language : Hindi
Edition : 2018
ISBN : 9788186103043
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹319.00
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