स्वामीजी श्रीरूपदासजी ‘अवधूत’ की अनुभव-वाणी : स्वामीजी श्रीरूपदासजी ‘अवधूत’ की अनुभव-वाणी भारतीय संत-साहित्य का एक महत्त्वपूर्ण दाय है। श्रीस्वामीजी ने अन्य निर्गुणी संतों की तरह विविध छंदों में अंगबद्ध मुक्तकों तथा अनेक आध्यात्मिक प्रबंध-काव्यों की रचना की है जबकि आजकल गद्य का जमाना है। श्रीस्वामीजी के समय में सैकड़ों सालों से संत अपने आध्यात्मिक और सामाजिक अनुभवों को काव्यात्मक और अकसर संगीतात्मक रूप प्रदान करते थे। दुर्भाग्यवश इन काव्य-रूपों को आधुनिक समाज भूलता जा रहा है। यद्यपि विद्वानों के लिए संत-साहित्य प्रागाधुनिक काल के चिंतन का स्रोत है फिर भी ये वाणियाँ केवल अतीत के सुराग नहीं बल्कि मानवता के कालातीत आध्यात्मिक गवेषणा के सूचक हैं। एकाग्रता से पढ़कर इनसे भक्तों को आध्यात्मिक, रसिकों को साहित्यिक रस का आस्वादन प्राप्त होता है तथा जीवन को और अधिक ध्यान व गंभीरता से जीने की प्रेरणा मिलती है। श्रीरूपदासजी ‘अवधूत’ की अनुभव-वाणी के संपादक श्रीब्रजेंद्रकुमार सिंहल के हम आभारी हैं जो इस महत्त्वपूर्ण अनुभववाणी को प्रकाश में लाये हैं। श्रीब्रजेंद्रकुमार सिंहल निर्गुणी संत-वाङ्मय के ही नहीं,प्रागाधुनिक हिन्दी साहित्य के बेजोड़ विद्वान् हैं जिनके द्वारा अभी तक 76 शोधपूर्ण रचनाएँ लिखी जा चुकी हैं।
Swamiji Shri Roopdasji ‘Awdhut’ ki Anubhav Vani
स्वामीजी श्रीरूपदासजी ‘अवधूत’ की अनुभव-वाणी
Author : Brajendra Kumar Singhal
Language : Hindi
ISBN : N/A
Edition : 2019
Publisher : RG GROUP
₹900.00
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