सूफी संगीत शैलीगत सौंदर्य : भारतीय संस्कृति में संगीत को पवित्रम् मानकर धर्मबद्ध करते हुए मोक्ष प्राप्ति का एक उत्तम साधन माना गया है। भारत में इस्लाम के प्रवेश के साथ ही सूफी धारा का आगमन हुआ, जिसका रूप यहाँ पूर्व विद्यमान निर्गुण भक्ति के लगभग समान ही था। सूफी विचारधारा इस्लाम का ही नवीन संस्करण है, जिसमें अपेक्षाकृत अधिक उदारता है। आध्यात्म, प्रेम तथा सौहार्द इस धारा की विशेषता रही है। विभिन्न सूफी सम्प्रदायों में प्रमुख चिश्ती सम्प्रदाय के ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती ने इस सम्प्रदाय की नींव भारत में रखी तथा अजमेर को आपने अपना केन्द्र स्थान बनाया।
सूफियों की पद्धति लौकिक प्रेम को माध्यम बनाकर अलौकिक प्रेम की अभिव्यंजना करना रही है, जो कि इस विचार धारा का रहस्यात्मक पहलू भी है। इस हेतु सूफियों ने स्थानीय भाषा तथा संस्कृति को अपनाकर अपने सिद्धान्तों का प्रतिपादन आम जन पर संगीत के माध्यम से किया। इस विचारधारा का संगीत के साथ उत्कृष्ट मेल अर्थात् “सूफी संगीत” इस हेतु एक सशक्त माध्यम साबित हुआ। ईश्वरीय सत्ता का प्रेम के माध्यम से अनुभूति करने का सफल प्रयास सूफियों ने संगीत के माध्यम से ही किया।
सूफी संगीत एक ऐसा उत्तम मिश्रण है, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत और प्रेम तत्व का ऐसा अनोखा संगम देखने को मिलता है, जो सभी धर्मों के अनुयायियों को स्वाभाविक रूप से आकर्षित करता है। अपने में इतनी खूबियाँ समाहित किये हुए इस संगीत के उतने ही सौन्दर्य तत्त्व भी है, जो इसे रस युक्त बनाते हैं। मानवीय प्रेम एवं सौहार्द तत्व इस संगीत को मानवपयोगी बनाते हुए इसके सौन्दर्य में वृद्धि करते हैं और इस संगीत का यह गुण मानवीय दृष्टिकोण से इसे सर्वोपरि बनाता है। इस प्रकार सूफी संगीत आध्यात्म प्रेम और सौहार्द को अपने शैलिगत अन्दाज में समेटते हुए समूचे मानव वर्ग को रस से सरोबर करने में सक्षम प्रतीत होता है।
Sufi Sangeet Shailigat Saundarya
सूफी संगीत शैलीगत सौंदर्य
Author : Rakesh Mathur
Language : Hindi
ISBN : 9789387297425
Edition : 2019
Publisher : RG GROUP
₹400.00
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