श्री हरदास मीसण कृत “जालंधर पुराण” : मध्यकालीन चारण भक्त कवियों में परम शिवभक्त हरदास मीसण ने ‘जालंधर पुराण’ जैसे विशिष्ट प्रबन्ध काव्य की रचना कर अपनी अनुपम भक्ति का परिचय दिया। प्रसिद्ध भक्त कवि ईसरदास रोहडिय़ा के भाणजे हरदास मीसण ने शिवपुराण के प्रसंग को लेकर 1220 पदों में ‘जालंधर पुराण’ नामक कथात्मक काव्य की रचना की थी। उनकी उत्कृष्ट सृजनात्मक शैली में रचित इस रचना का वि.सं. 1890 में बारहठ हम्मीर रतनू ने गुजराती में अनुवाद किया था। इस ग्रन्थ का गुजराती में अनुवाद के साथ प्रत्येक दोहे का कथासार देकर प्रो. अम्बादान रोहडिय़ा ने छपवाया। सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के गुजराती भाषा साहित्य के प्रोफेसर श्री रोहडिय़ा के आग्रह पर ठा. नाहरसिंह जसोल ने इसका हिन्दी में अनुवाद कर पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत किया है। गुजराती साहित्य की अनेक पुस्तकों का हिन्दी और राजस्थानी भाषा में ठा. नाहरसिंह जसोल ने अनुवाद किया है। विशेषकर चारण साहित्य का। उनकी अनूदित रचनाएँ काफी सराही गई है और एक अलग से पाठक वर्ग तैयार हो गया है। जो उनकी रचनाओं को रुचि के साथ पढ़ता है और आनन्दानुभूति प्राप्त करता है। प्रस्तुत रचना का हिन्दी अनुवाद ठा. श्री नाहरसिंह जसोल ने सरल व सरस भाषा में किया है जो एक सराहनीय प्रयास है।
Shri Hardas Misan Krit “Jalandhar Puran”
श्री हरदास मीसण कृत “जालंधर पुराण”
Author : Ambadan Rohadiya
Language : Hindi
ISBN : 9789385593819
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP
₹500.00
Reviews
There are no reviews yet.